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સમીક્ષા ભ્રમાવિષ્કરણ तथा जिनदर्शनं मूलं निर्दिष्टं मोक्ष- सर्वतः प्राणातिपातविरमणादिक पांच महामार्गस्य ॥११॥1 .
व्रतोने मूलगुण कहेवामां आवे छे, अने ते भावार्थ- जेवी रीते मूलथी स्कन्ध, मूलगुण होवाथी तेनो व्रत शब्दथी व्यवहार शाखा अने परिवार बह गणवाळो थाय छे नहि करतां महाव्रत शब्दथी व्यवहार तेवी रोते जिनदर्शन मोक्षमार्गनं मल छ। करवामां आवे छे। एक वार दिवसमां शुद्ध
___ आहार लेवो ए जो मुनिनो मूलगुण होय तो आनी अन्दर जेनाथी वस्तुनी उत्पत्ति
तेनो पण महाव्रत शब्दथी व्यवहार करवो थाय ते मूल कहेवाय छे, ए अर्थ सूचववामां
जोइए, अने करेल नथी, माटे मूलगुण पांच आव्यो । प्रस्तुतमां पण जे मूलरूप गुण ते ।
___ महाव्रत ज छे, अने बाकीना गुणो उत्तरगुण मूलगुण कहेवाय छे । कोना मूलरूप गुण ए
छे अने ते मूलगुणना क्षेमने माटे छे । जिज्ञासा स्वाभाविक उत्पन्न थाय छे । आना जवाबमां जणावq पडशे, के मुनिपणाना एकभोजित्व जो मूल तरीके गणवामां मूलरूप जे गुण ते मूलगुण कहेवाय छे, आवतुं होय तो उपवासी मुनिने एक वखत अर्थात्-जेना नाशथी मुनिपणानो नाश थाय, खावा- नथी माटे एकभोजित्वरूप मूलगुण जेनी उत्पत्तिथी मुनिपणानो उत्पत्ति थाय रह्यो नहि अने मूलगुणना अभावे चारित्रनो अने जेना सिवाय मुनिपणुं रही शकतुं नथी पण नाश थइ जशे! कदाच एम कहो के ते मुनिपणाना, एटले गुण गुणीनो अभेद एक वखत खावं एटले एकथी वधारे वार मानवाथी मुनिना, मूलगुण कहेवाय छे । न खावु एवो अर्थ छे तेथी करीने उपवासी जो के मुनिपणामां सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान मुनिमां दो आवशे नहि । आना जवाबमां अने सम्यक्चारित्र, आ त्रणे होय छे तो पण जणाववानुं जे प्रथम तो तेनो एक वखत मुनिपणानुं खास प्रयोजक सम्यक्चारित्र छे, खावं तेवो अर्थ सीधी रीते नोकली शकतो कारण के प्रथम बे तो गृहस्थोमां पण होय नथी । कदाच आग्रहथी खेची मरडीने तेवो छे, अने मुनिपणुं तेओमां होतुं नथो। अर्थ करवामां आवे तो पछी श्रावकोने सारांश ए थयो के चारित्रना जे मूलगुण ते स्थावरनी हिंसा करवी ते पण मूलगुण मानवो मुनिना मूलगुण कहेवाय, अर्थात् चारित्रनो पडशे, कारण के तेनो स्थावर सिवाय त्रस जे उत्पादक होय, जेना नाशथी चारित्रनो जोवनी हिंसा न करवी एवो अर्थ तमारी नाश थतो होय, जेना सिवाय चारित्र न शैली प्रमाणे थइ जशे, अने ते प्रमाणे मानेल टकी शकतुं होय ते चारित्रनो मूलगुण नथी। तथा मुनिओने माटे एकभोजनातिरिक्तकहेवाय छे । आटला ज माटे सम्यक्चारित्रने भोजनविरमण नामनुं महावत मानवू पडशे, टकावनारा तथा तेना उत्पादक होवाने लइने अने तेमां मूलगुणर्नु लक्षण पण घटो शकतुं
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