Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur View full book textPage 8
________________ मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, रामपुरमणिहारान एवं दक्षिण भारत के हैदराबाद, सेलम, मद्रास, बंगलौर आदि में घूमकर वहाँ के समाज के बारे में जानकारी एकत्रित की है। प्रमुख एवं यशस्वी समाजसेवियों का परिचय उनसे जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् लिखा है । हमारी इस यात्रा से इतिहास के कितने ही बंद पृष्ठ खुले हैं। इतिहास के नामकरण में परिवर्तन यहां यह भी लिखना उचित होगा कि पहिले हमारा ध्यान खण्डेलवाल जैन समाज का द्वितीय खंड के नाम से प्रस्तुत इतिहास का लेखन कार्य करना था लेकिन फिर जब देखा कि समाज के कार्यों में एवं समाज सेवा में किसी जाति विशेष को अलग करके नहीं देखा जा सकता । जो समाज जहाँ अधिक संख्या में है वह सब जैन समाज का ही तो एक अंग है और उसी के नाम से सारा कार्य होता रहता है जो समूचे जैन समाज का कार्य कहलाता है। इसलिये प्रस्तुत इतिहास में भी समूचे जैन समाज के सामाजिक इतिहास को सम्मिलित करके लिखा गया है उसमें किसी जाति विशेष का व्यामोह नहीं रखा गया है। भावी योजना : जैन समाज का वृहद इतिहास अभी तोन खंडों में और प्रकाशित करने की योजना है। दूसरे खंड में मध्यप्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र देहली, हरियाणा के जैन समाज का इतिहास एवं यशस्वी समाजसेवियों का परिचय रहेगा । तीसरे खंड में बंगाल, बिहार, उड़ीसा एवं उत्तर प्रदेश के जैन समाज का इतिहास प्रस्तुत किया जावेगा तथा चतुर्थ खंड में दक्षिण भारत के मूल निवासी जैन समाज का इतिहास एवं परिचय दिया जालेगा । इशा पगार सपो र मा का बीनतम इतिहास प्रस्तुत करने की हमारी योजना है तथा साहित्य एवं इतिहास लेखन की उत्कृष्ट अभिलाषा मन में संजोये हुये हैं। यदि समाज का पूर्ण सहयोग रहा तथा हमारा जीवन रहा तो इतिहास के चारों खण्डों को लिखने में पूर्ण सफलता मिलेगी ऐसा हमारा दृढ विश्वास है । यह सब कार्य पांच वर्षों में कर लिया जावेगा ऐसी हमारी हार्दिक अभिलाषा है। आभार : प्रस्तुत इतिहास की सामग्री जुटाने,परिचय के साथ आर्थिक सहयोग देने में समाज के उन सभी महानुभावों का आभारी हूँ जिनका किसी न किसी रूप में सहयोग प्राप्त हुआ है । व्यक्ति विशेष के सहयोग के रूप में सबसे अधिक सहयोग . गया के श्री रामचन्द्र जी रारा का नाप उल्लेखनीय है जिन्होंने मुझे अपने साथ लेकर बिहार के प्रमुख नगरों में घुमाया तथा व्यक्ति परिचय के साथ आर्थिक सहयोग भी दिलाया। इनके अतिरिक्त त्रिलोकचन्द जी कोठारी,श्री निर्मल कुमार जी सेठी, डीमापुर के श्री चैनरूप जी बाकलीवाल, श्री डूंगरमल जी गंगवाल,सागरमल जी सबलावत, मणीपुर में श्री मत्रालाल जी बाकालीवाल एवं पद्म श्री धर्मचन्द जी, डिबूगढ़ में श्री चांदमल जी गंगवाल,नागौर में श्री सोहनसिंह जी कानूगो, रांचों में श्री रायबहादुर हरकचन्द जो पांड्या, रिखब चन्द जी बाकलीवाल, रत्नेशकुमार जी जैन. झूमरीतिलैया में श्री महावीर प्रसाद जी झांझरी लखनऊ में श्री सौभाग्यमल जी काला,त्र्यावर में श्री धर्मचन्द जी मोदी, उज्जैन में श्री सत्यन्धर कुमार जी सेठी जी ने जो सहयोग दिया उसके लिये हम सबके प्रति आभारी हैं। पन्थ प्रकाशन में श्री महेशचन्द जो जैन चांदवाड़ ने प्रेस का सारा कार्य निपटाया तथा चि. नरेन्द्र कासलीवाल ने अनुक्रमणिका तैयार की उसके लिये हर उनके प्रति आभारी हैं। जय महावीर डा. कस्तूरचन्द कासलीवालPage Navigation
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