Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 145
________________ अंक २] श्री महावीरनो समय-निर्णय [१०१ अने महावीर समकालीन होवा जीईए, तेमणे लगभग एक ज प्रदेशमा प्रवास कों होवो जोईप तथा तेमना वखतना एक ज राजाओ अने अग्रगण्य पुरुषोना संसर्गमां तेओ आव्या होवा जोईए. विशेषमां जेकोबीए खास निश्चित रीते बाताव्युं छे के बौद्ध आगममां गणावेला 27 छ पाखंडी गुरुओमांना निग्गन्थ-नात (थ)-पुत्त ते ज महावीर छे. आ बन्ने समकालीन हता, तथा बन्ने मगधमां फरता हता28 तेथी परस्पर समागममां आव्या हशे, के केम तेनी कदा च कोईने शंका होई शके; पण, आ बन्ने तद्दन भिन्न अने स्वतंत्र हताप विषयमा तो हवे कोडेने शंका थाय तेम नथी. नात(थ) पुत्त अने तेना अनुयायिओ संबंधे बौद्ध आगमोनां वाक्योनी प्रो. जेकोबीए, संक्रेड् बुक्स् ऑफ धी ईस्ट, पु० ४५, पा० १५ मां सारी रीते चर्चा करेली छे. परंतु तत्स्थळे तेमनो मुख्य हेतु मात्र जैनो अने तेमना धर्म विषेना बौद्ध उल्लेखो भेगा करी समजाववानो हतो, ए उल्लेखोमांथी ऐतिहासिक बाबतो तारवी काढवानो हेतु गौण हतो, तेथी एमांनां केटलांक वाक्यो विषे हुं अहीं पुनः चर्चा करीश. जो के तेमां वर्णवेला बनायो घणा लांबा समये पाली आगम विद्यमान रूपमा संगठित थएला होवाथी तेना उपर सर्वथा आधार राखी शकाय तेम तो नथी; तो पण तेमांना केटलाक मुख्य बनावो तो खास बनेला होवानां सबळ प्रमाणो जणाय छे. सामञफलसुत्त (दी० नि० १, पा० ४७) नी सुशात प्रस्तावनामां कहेलुं छे के, मगधराज अजातशत्रुए अनुक्रमे पूरणकस्सप, मक्खलीगोसाल, अजितकेसकंबल, पकुधकच्चायन, संजयवेलहीपुत्त, अने निगण्ठ नाथपुत्त एमछपाखंडी गुरुओनो धर्म सांभळवा तेमनी मुलाकात लीधी, अने आखरे असंतुष्ट थईने बुद्धने शरणे गयो. एमां जरा अतिशयोक्ति हशे, कारण के एक ज रातमां अजातशत्रुए सात महान् गुरुओनी मुलाकात लीधीए मानी शकायतेमनथी.29 परंतु आमांना गोसाल अने नातपुत्त ए बे गुरुओनी धार्मिक मान्यताओने जैन लेखो 30 साथे सरखावतां आपणने जे बातमी मळे छे ते उपरथी एम कही शकाय के ए प्रस्तावनानो निष्कर्ष खरो छे. वळी औपपातिकसूत्र जेवा जैन ग्रंथमां पण राजा कृणीय अगर कोणिय (अजा 27. काई विशेष कह्या बिना ज्या ज्या मात्र नात (थ) पुत्तनु नाम आवे छे एवां वाक्यो, दाखला तरीके नीचे प्रमाणे:-चु० ब०५, ८, १; दी. नि. २, पृ० १५०; म. नि० १, पृ. १९८, २५०; २, पृ. २; बौद्ध संस्कृतमां तेने निर्ग्रन्थो शातिपुत्रः कहेलो छे, दाखला तरीके दिव्यावदान पा. १४३; महावस्तु १, पा. २५३, २५७; ३, पा. ३८३. 28. स्वर्गस्थ एल. फीअरे प्रपंचसूदनी उपरथी J. A. Ser, VIHI,t. XII, 209 मां एवो मत दर्शाव्यो छ के महावीर ने बुद्ध कदापि मळ्या न हता, परंतु आ एक भूल छ एम स्पष्ट जणाय ळे. 29. माज्झमनिका . २, पा. २ मां कहेलुं छे के बुद्धना वखतमा उपरोक्त छए पाखंडी गुरुओ एक बखते त्यां साथे चातुर्मास रह्या हता. कल्पसू० १२२ मां कह्या प्रमाणे महावीरे त्यां १४ चातुर्मास गाळ्यां. परंतु दी.नि. मां एम कथं छे के चोमासा पछी कार्तिकनी पूर्णिमाने दिवसे अजातशत्रुए तेनी मुलाकात लांधी. परंतु एम पण बनवू शक्य छे के ए ज बाबतनो अही उल्लेख होय. 30. (दी.नि.१,५७ मांनी) नातपुत्तनी धार्मिक मान्यताओ माटे सरखावोः-जेकोबी, से० बु० इ०, पु. ४५, प० २०; अने गोसालनी मान्यताओ माटे (दी०नि० १५३) पृ० २९ तथा हेस्टिंग्स एन्साइक्लोपीडीआ, पु.१ पा. २५९ मां आवेलो डॉ. हार्नेलनो लेख. ( सरखावो तेम ज उवासगदसाओ App.II) Aho! Shrutgyanam

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