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जैन साहित्य संशोधक
[ खंड २
त्यां केदलांक वर्ष रहेलो होवाथी, चंद्रगुप्तना मरणनी प्राचीनमां प्राचीन मिति, मेगेस्थिनीजे तेना जीवता होवानुं चोक्कस कथन करेलुं होवाथी, ते मात्र इ. स. पूर्वे २९९ वर्षे ज घटी शके.
त्यारे हवे, इ. स. पूर्वे ४७७ अने ३२३ मा वर्षेनी वच्चेनुं १६४ वर्षोनुं अंतर आपणे अजातशत्रु अने तेना वंशना राजाओ, तथा नंदराजाओना राज्यकालथी भरी शकीशं. अजातशत्रु बुद्ध पछी २४ वर्षे राजा थयो हतो एम कहेवाय छे। अने ते उपरथी तेनी अवसानमिति तरीके लगभग इ. पूर्वे ४५३ 89 आपणे प्रायः नक्की करीए. उदय अथवा उदायि जेने हुं शैशुनाग
नो छेलो राजा मानुं हुं तेणे पुराणमां आपेली हकीकत अनुसार ३३ वर्ष, अने सिलोनना इतिहास अनुसार मात्र १६ वर्ष राज्य कर्यु हतुं. परंतु आ स्थळे आपणे जैनोनुं पण शुं कथन छे ते ध्यानमां लेबुं जोईए. आ बाबत हुं आगळ उपर चर्चीश, परंतु ते कथन, एकंदर पौरा णिक कथनने पुष्टि आपतु होय तेम लागे छे. दीघनिकाय उपरथी पटलं तो स्पष्ट जणाय छे के अजातशत्रु ज्यारे बुद्धनी मुलाकात लीधी त्यारे उदायि ते अगाउ जन्मेलो हतो. तथा ते घखते ते कुंमर लायक थयो हतो, एम मनातुं हतुं. आम छतां तेणे ३० वर्ष राज्य कर्यु पण होय. आ गणतरी आपण स्थूल रूपे इ. स. पूर्वे ४२५ अगर ४२० अर्थात् चन्द्रगुप्त पूर्वे सो वर्ष जेटला अर्वाचीन काळमा लावी मूके छे. अने आ समय मुख्यत्वे करीने नंदराजाओनो होय, जेमणे हेमचंद्र ना कहेवा मुजब ९५ वर्ष, तेमज जे रीते में उपर पुराणमांथी तारवी काव्यां छे ते मुजब आसरे ८५ वर्ष, राज्य कर्तुं हतुं. शुशुनाग नाम खास सन्देहजनक लागे छे. कारण के शिशुनाग तो ते वंशनो स्थापक हतो, जेमां बिंबिसार आदि राजा थया हता. जो कालासोक खरेखर थई गयो होय तेम आपणे मानीए तो ते नन्द अ हशे . आ प्रमाणे शैशुनाग वंशनो इ. स. पूर्वे ४२० ना अरामां अंत आवी गयो हशे अने आम मानवाथी हेमचंद्रना नंदराजाना अभिषेक संबंधी कथन साथै तेनो विरोध पण आवतो नथी. तेथी आ मितिने पासनी मिति तरीके स्वीकारी शकाय अने हुं इ. स. पूर्वे ४७७ वर्षने बुद्धनिर्वाणनी अतिशय संभवित मिति तरीके स्वीकारवामां कोई पण वांधो होय तेम जोतो नथी. 90 हवे जो बुद्धनिर्वाणनी अन्य सौ
89. आ २४ वर्षने पुराणमां अजातशत्रुना राज्यकालनां जणावेलां २५ वर्ष साथै अद्भुत मळतापणु छे. आनो भावार्थ शुं ए होय के गणनानो उपयोग बुद्धनिर्वाणथी थयो हशे; कारण के ज्यारे पौराणिक राजयादी उत्पन्न थई त्योर आ बुद्धनिर्वाण मोजुद हतुं. आ उपरांत बीजुं पण एक मळता पणुं अशोकना संबंधमां मळे छे. कारण के पुराणमांना अशोकना ३६ वर्षो, बौद्धोए अशोकना अभिषेक बादनां बतावेलां ३७ वर्ष साथे मळतां आवे छे.
90. मि. विन्सेन्ट. ए. स्मिथे, प्राचीन इतिहास, पृ. ४२, मां बुद्धनिर्वाणने इ. स. पूर्वे ४८७-८६ मां नक्की करवा रजु करेलां कारणोना विषयमां कहेतुं जोईए के ते बीलकुल विश्वसनीय जणातां नथी. वर्षगण्य अने विंध्यवास ए बन्ने वसुबन्धुना समकालीन हता अने चीनी मंथोमां एम जणावेलुं छे के 'तेओ निर्वाण पछी ९०० वर्षे थया हता' परंतु एम्. एन्, पेरिए B. E. F. E. O. XI. 339 ff पुरतां प्रमाणो आपी बताव्युं छे के चीनी ग्रंथकारो निर्वाणसमय इ. स. पूर्वे छठ्ठी सदीमा मूके छे, अने बीजं ए के वसुबन्धु इ. स. ३५० नी पहेला थई गयो हतो. केन्टननी “ खण्डित - टिप्पणिका " ( Dotted record ) जे इ. स. ४८९ मां समाप्त थई हती ते बुद्धनिवाणना समय इ. स. पूर्वे ४८६ मां बतावे छे अने ते टिप्पणिका उपलक जोतां, उपयोगी होय तेम भासे छे. परंतु ज्योर आपणे वधारे विचार करीए छीए त्यारे भिन्न भिन्न शाखाओना बौद्धनु आ समयना विषयमां भिन्न भिन्न मन्तव्य जवाय छे अने कोइर्पण बौद्धशाखा निर्वाणना आ समय अर्थात् इ. स. पूर्वे ४८६ थी केवल आ एकज नोधमा आपेली तारखि ज खरी के एम मानी लेवुं बहु अजब लागे छे,
गणत्री करती नथी. त्यारे उदाहरण तरीके परमार्थ
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