Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ १२४ जैन साहित्य संशोधक [खंड २ बंने चतुर्दशपूर्वधारी हता; जो के स्थूलभद्रने छल्ला चार पूर्वो बीजाने शीखववा मनाई थएली हती. दिगंबरो भद्रबाहुने छल्ला श्रुतकेवली माने छे त्यारे श्वेतांबरो स्थूलभद्रने छल्ला श्रुतकेवली माने छ 2 आ उपरथी एम जणाय छे के संमूतिविजय करतां भद्रबाहु वधारे महत्त्वना लेखाता हशे अने तेम हतुं पण खरूं. परंतु भद्रबाहु जो के आखा जैनधर्मना युगप्रधान हता छतां पण केटलेक अंशे सांप्रदायिक हता. आम मानवाचं कारण ए छे के ज्यारे ते पोते दक्षिण तरफ जवा नोकळ्या त्यारे तेमणे पोतान नकळ्या त्यारे तेमणे पोताना अनुयायीओनी एक मंडळी मगधमां छोडी दधिी हती अने जे मंडळी तेमनी साथे दक्षिणमां गई हती तेणे पछी, जे मंडळी मगधमां रही हती तेमनां चारित्र तथा सिद्धान्तने पसंद कर्या नहि. अने त्यारपछी भद्रबाहु नेपाल तरफ चाल्या गया अने सघळा सिद्धांतोने 3 एकत्र करवा उद्युक्त थपला संघने तेमणे मदद करवा घणी खशी न बतावी. ते उपरथी लागे छे के तेओ ते लोकोना आ कार्यमा संमत नहि होय अथवा तो तेने पूर्ण रीते पसंद कर्यु नहि हशे. अने तेथी आखरे ए अनुमान थाय छे के मूळ प्राचीन, आविभक्त अने महावीरना समयथी निर्विकृत स्वरूपे चालता आवता जैनधर्मना वास्तवमा छल्ला युगप्रधान संभूतिविजय छे, परंतु तेमना घणा ज वधारे प्रसिद्ध साथी भद्रबाहु, अव्यव. स्थितकालनी असरने लईने कोई जुदीज हालतमा मूकाया. तेटला माटे मारुं धारदुं छे के चंद्रगुप्तने संभूतिविजयना देहान्तकालना वर्षमा मूक्यो हो, जेम के महावीरनिर्वाणनी रात्रिमा पालकनो राज्याभिषेक मूकेलो छ.4 छ स. पूर्वेना ४६७ मा वर्षने महावीर निर्वाण वर्ष तरीके मानवाना पक्षमा अन्यान्य बाबतान विवेचन प्रो० जेकोबीए पोतानी कल्पसूत्रनी आवृत्तिमां कर्यु छे. हुं फक्त बेज मुद्दा उपर चर्चा करवा मागुं छु, कारण के ए मुद्दाओ आ प्रश्नना विषयमा घणी महत्ता धरावे छे. हेमचंद्रथी मांडीने अर्वाचीन काळनी सघळी जैनपरंपरा भद्रबाहुना निर्वाणसमय तरीके वीर पछी १७० मुं वर्ष जणावे छे. आ वर्ष परंपरागत निर्वाणसमयने हिसाबे इ. स. पूर्व ३५७ मां आवे परंतु प्रो. जेकोबीनी व्यवस्थित करेली मितिनी अनुसार इ. स. पूर्वे २९७ मां मूकाय. आ बने मितिओमांनी बीजी ज मिति शक्य जणाय छे, कारण के सघळी जैनपरंपराओ भद्रबाहुने चन्द्रगुप्त साथे नजीकमां नजीक संबंध धरावनार तरीके स्पष्ट जणावे छे. अने आ रीते इ. स. पूर्वे ३५७ नी मिति बहिष्कृत थाय छे. कल्पसूत्रमांना जिनचरित्र- १४८ मुं सूत्र आपणने जणावे छे के ते ग्रंथ महावीर पछी ९८० वर्षे समाप्त थयो हतो. परंतु साथे साथे एक बीजो पण उल्लेख छ (चायणन्तरे ) जेमां ९९३ मुं वर्ष आपेलुं छे. सघळी टीकाओ जे प्राचीन चूर्णिना आधारे रचाएली छे ते सर्वे आ मितिओनो जुदी जुदी बीनाओ साथे संबंध बतावे छ। (१) देवार्धगणीना अध्यक्षपणानीचे थपली वलभीनी सभा, जे वखते सिद्धांतने पुस्तकारूढ करवामां आव्युं हतुं ते प्रसंग. 2. पण, श्वतांबरा पण केटलेक ठेकाणे भद्रबाहने छल्ला युगप्रधान माने छ, ए बाबतनो पुरावो मळे तेम जणाय छे. सरखावो-जकोबी, कल्पसूत्र पृ० १९ Z. D.M.G.38, 14. 3. आ विषयनी वधारे विगतो माटे जओ प्रो. जेकोबीनो 'श्वेतांबर अंन दिगंबर संप्रदायोनी उत्पत्ति' वागे लेख. Z. D. M.G. 38. 1. 4. सरखावाः-उपर पृष्ठ 5. परिशिष्टपर्व, ९, ११२ 6. जेकोबी. कल्पसूत्र पृ० ५ 7. जेकोबी, सेक्रेट बुकस ऑफ धी इस्ट. २२, पृ० २७० Aho I Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282