Book Title: Jain Maru Gurjar Kavi Aur Unki Rachnaye
Author(s): Agarchand Nahta, 
Publisher: Abhay Jain Granthalay

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Page 138
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सेवक www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोलहवीं सदी [ १२१ इति श्री हेमरत्न सूरि गुरु फागु । विदुषी विनय चूलागणिनिबं धेन कृतम् ॥ प्रति० अभय० जै० ग्रथालय (१६७) अज्ञात ( १९७) अमररत्नसूरि फागु गा० १८ १६वीं शती पूर्वाधं आदि - अहे केवल कमलां राजए, छाजए जगतदिनिंद, हे नीलवर्ण रलीश्राम, सुहामगु पास जिणिद ॥। १ पणमीयतासु प्रभाविहिं, भाविहिं गुण गाएसु, श्री श्रमररत्न सूरि राजा, ताजा जई वांदेसु ॥ २ प्रन्त - फागुण फाग सींदूरिहि पूरिहिं सर वरि सार, भगतिहिं सुगुरु महावउ, फावउ जिम सवि वार ।। १७ श्री श्रमररत्नसूरि मनोहर, सुहगुरु बालकुआर, स्तवतां भविण म्ह घरि, तम्ह घरि जय जयकार ।। १८ प्रकाशित - प्राचीन फागु संग्रह पृ० २ १-४२ For Private and Personal Use Only (१६८) सेवक ( तपा. लक्ष्मीसागरसूरि भक्त) ( १९८) शालिभद्र फागु गाथा ७२ (सं० १५२५ लग० ) प्रादि-गोयम गण निधि गण निलु, लबधि तर भंडार ।

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