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भावना
रचयिता-हीराचन्द बोहरा बी. ए एल एल वी विशारद बजवज
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कर्तव्य पथ पर हम चलें,
सबकी यही हो कामना । हँसकर सहें सब आपदा
___जीवन की यह हो साधना । न बुरा किसी का करे कभी, मन में रहे यह भावना । सुख से जिएँ जग मे सभी, प्रभु से यही इक प्रार्थना ।।
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जग मे दुखी इन्सान की सेवा करें यह चाहना विश्वास हो प्रभु में सदा
है बस यही इक अर्चना ॥ चाहे प्राण जाएँ या रहे, अन्याय से बचते रहे संघर्प के हर कदम पर, बढ़ते रहें हँसते रहे।।
आपस की रंजिश दूर हो, सब प्रेम से मिल कर रहें, सुख शान्ति का वातारण
इस विश्व मे हरदम रहे ॥ पापो से हम बचते रहें, बस इक यही है चाहना बन जाऊँ प्रभु मैं आपसा, मेरी यही इक भावना ।।
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