Book Title: Jain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 146
________________ १२८ जैन कथानो का सास्कृतिक अध्ययन ग्रामो (गाँवो) के नाम १ सवर २, शाल्मलिखण्ड ३ गञ्जपुर ४ शूपरिक ५, आलोक ६ वेणातडाग ७, नन्दिग्राम ८ आनन्दपुर ६. रत्नपुर १० पलासकट ११ यशोपुर १२ धर्मपुर । तीर्थ क्षेत्रो के नाम १ सम्मेदशिखर २ पावापुर ३ राजगृही ४ चन्द्रपुरी ५ कौशाम्बी ६ हस्तिनापुर ७ स्वर्णगिरि (सोनागिरि) ८ कुण्डलपुर ६ सिद्धवर कूट १० गिरनार ११ मागी तु गी १२ श्रवण वेलगोला। सामान्य नर-नारियों के नाम पुरुपो के नाम नारियो के नाम १ मानभद्र १ मनोहरी २ पूर्णभद्र २ किन्नरी ३. चारुदत्त ३ 'नीलीबाई ४ रुद्रदत्त ४ कपिला ५ सुदृष्टि ५. वसुन्धरी ६ अञ्जन ६. सोमिला ७ लकुच ७ भद्रा ८ गोविन्द ८ सुलसा ६ सात्यकि ९ सुदत्त १० धरणीधर १० सूरदत्त ११ कपिल ११ कोशा १२ माकन्दी १२ उपकोशा १३ मल्ल १३ धनवती १४ अट्ठण १४ अचला १५, फलहिय १४ विरूपा १६ मच्छिन्न १६ आर्द्रा १७ भरत १७ रूपवती १८ रोहक १८ धरित्री __ नामो की इस सयोजना से कई तथ्य प्रकाश मे आते हैं । नगरो के नामकरण मे नरेशो के नामो का मकेत स्पष्ट है । एक युग था जब नृपति अपने नामो को कुछ समय के लिए अमरत्व प्रदान करने के लिए नगरो तथा ग्रामो के नाम-करण मे अपने नामो को आधारभूत बनाते

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