Book Title: Jain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 166
________________ जैन कथाओ का सास्कृतिक अध्ययन इसी प्रकार कई जैन-कथाओ मे पशु पक्षियो, सर-सरिता, देवालयो, प्रासाद आदि की सुन्दरता का ग्राकर्षक चित्रण किया गया है । १४८ इस सौन्दर्य-चित्रण के सदर्भ मे यह लिखना अप्रास गिक न होगा कि सुन्दरता को मुखरित करने वाले ये विवरण एक प्राचीन परम्परा पर ही विशेषत आधारित है । वे ही उपमानादि यहाँ पर चर्चित है जो प्राचीन कथा काव्यो मे अपनाए गए हैं । यत्र-तत्र कुछ नवीन उपमानो एव कल्पना - प्रसूत मौलिक उदभावना की अभिव्यक्ति अवश्य हुई है जिससे जैन - कथाकारो का सास्कृतिक वैशिष्ट्य अभिव्यजित होता है । जैन प्रतिमाओ के बाह्य सौन्दर्य की भूमिका श्रान्तरिक सुषमा को देखकर अनेक कलाविद एव विद्वान प्रभावित हुए हैं और उन्होने मुक्तकठ से शिल्पी की एव उसकी छैनी की भूरि-भूरि प्रशमा की है - " मैसूर राज्य के 'हासन' जिला मे श्रवरण बेल गोला, निर्वारण भूमि न होते हुए भी भगवान गोम्मटेश्वर बाहुबली की ६० फीट ऊची भव्य तथा विशाल मूर्ति के कारण अतिशय प्रभावक तथा आकर्षक तीर्थस्थल माना जाता है। दर्शक जब भगवान गोम्मटेश्वर की विशाल मनोज्ञ मूर्ति के समक्ष पहुँच दिगम्बर शान्त जिन मुद्रा का दर्शन करता है तब वह चकित हो सोचता है । मैं दुख दावानल से बचकर किस महान् शान्ति स्थल मे आ गया हू । वहाँ आत्मा प्रभु की मुद्रा से बिना वाणी का अवलबन ले मोनोपदेश ग्रहण करता है । मैमूर राज्य के पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर डा० कृष्णा एम ए पी एच डी लिखते हैं शिल्पी ने जैन धर्म के सम्पूर्ण त्याग की भावना अपनी छेनी से इस मूर्ति के अग अग मे पूर्णतया भरदी है । मूर्ति की नग्नता जैनधर्म के सर्वस्व त्याग की भावना का प्रतीक है । एकदम सीधे और उन्नत मस्तक युक्त प्रतिमा का अग विन्यास आत्म-निग्रह को सूचित करता है । होठो की दयामयी मुद्रा से स्वानुभूत आनन्द और दुखी दुनिया के साथ सहानुभूति की भावना व्यक्त होती है । 1 जिस चरम सौन्दर्य की अभिव्यजना जिन मूर्तियो मे हुई है उसी परम पुनीत सुन्दरता की अभिव्यक्ति हमे जैन चित्रकला मे प्राप्त होती है । जैन मतानुसार वही कला सौन्दर्य श्रेष्ठ है जो हितकर हो और मानव के विचारो को उदात्त बना सके । जिनालयो की भित्ति पर चित्रित चित्रो मे जो अभि 1 जैन शासन - ले० श्री सुमेर चद्र दिवाकर पृष्ठ २५५ – ५६

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