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जैन कथानो मे लोक विश्वास
छिद्र (६) काले हाथियो का युद्ध (७) खद्योत (८) सूखा सरोवर (६) धूम (१०) सिहासन (११) सुवर्ण के पात्र मे खीर खाता हुआ कुत्ता (१२) हाथी के सिर चढा हुआ बदर (१३) कूडे मे कमल (१४) मर्यादा का उल्लघन करता हुया समुद्र (१५) तरुण बैलो से जुता हुआ रथ (१६) और तरुण बैलो पर चडे हुए क्षत्रिय । एक मुनिराज ने प्रार्थना करने पर इन स्वप्नो का फल इस प्रकार बताया था -
(१) राजन् । पहले स्वप्न मे जो सूर्य को अस्त होता देखा है, वह सूचित करता है कि सकल पदार्थो का प्रकाश करने वाला जो परमागम (केवल ज्ञान) है उसका अस्त होगा । (२) दूसरे स्वप्न मे जो कल्प वृक्ष की डाली का टूटना देखा है, उसका फल यह है कि क्षत्रिय लोग न तो राज्य करेगे और न दीक्षा ग्रहण करेगे (३) प्राते हुए विमान के लौट जाने का फल यह है कि आज से यहाँ पर देव तथा चारण मुनियो का यागमन न होगा । (6) वारह फणो के सर्प से जानना चाहिये कि यहाँ बारह वर्षों का दुष्काल पडेगा (५) चन्द्रभडल मे छिद्र होने से समझना चाहिए कि जैनमत मे सघ आदि का भेद हो जायगा। (६) काले हाथियो के युद्ध से जान पडता है कि अव से यहाँ पर यथेष्ट वर्षा न होगी। (७) खद्योत के देखने का फल यह होगा कि परमागम (द्वादशाग) का उपदेश कुछ ही दिनो तक रहेगा। (८) मध्य मे सूखा सरोवर सूचित करता है कि ग्रार्य खड के मध्य देश मे धर्म का विनाश होगा। (६) धूम का देखना बताता है कि अव दुर्जन और धूर्त अधिक होगे । (१०) सिंहासन पर बदर का बैठना स्पष्ट कह रहा है कि आगे नीच कुल वालो का राज्य होगा। (११) सोने के पात्र मे कुत्ते का खीर खाना बतलाता है कि पागे राज सभाओ मे कुलिगियो की पूजा होगी (१२) हाथी पर बदर का बैठना सूचित करता है कि राजकुमार नीच कुल वालो की सेवा करेगे । (१३) कूडे मे कमल के देखने से विदित होता है कि रागद्वप सहित कुवेपी कुलिंगियो मे तपादिक की क्रिया दीख पडेगी (१४) समुद्र मर्यादा का उल्लघन होना जो देखा है वह सूचित करता है कि राजा पडाग भाग से अधिक कर लेगे। (१५) तरुण वैलो सहित रथ दिखलाता है कि वालक तप करेगे और वृद्धावस्था मे उस तप मे दोप लगावेगे । (१६) तरुण बैलो पर चडे हुए क्षत्रिय प्रकट करते है कि क्षत्रिय लोग कुवर्म मे लीन होगे ।
पुण्याश्रय कथा कोश पृष्ठ २८०-८१ इसी प्रकार उज्जयिनी नगरी के निवासी धनपाल वैश्य की पत्नी प्रभावती ने रात्रि के अन्तिम भाग मे स्वप्न मे एक ऊँचा बैल, कल्पवृक्ष,