Book Title: Jain Jivan
Author(s): Dhanrajmuni
Publisher: Chunnilal Bhomraj Bothra

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Page 7
________________ :ग: और दूसरी काल्पनिक । वैमे यथास्थान दोनों ही उपयोगी है। लेकिन विशिष्ट-ऐतिहासिक घटनाये तो वास्तवमे ही गहरी छाप डालती है और जीवनका नव-निर्माण करती है। इस पुस्तकमे जो जैनजगतमे प्रसिद्ध, शिक्षाप्रद, सुरुचिर, वैराग्यमे अोतप्रोत एव नैतिक व धार्मिकजीवनको उद्बोधन करनेवाली आख्यायिकानोका श्रीधनराजजीस्वामी ( जो एक कुशल कवि है और श्रीभिक्षुशासनमे सर्वप्रथम शतावधानी है ) द्वारा अतिसरल भाषामे एवं संक्षिप्त--सकलन करनेका एक नुन्दर-प्रयास किया गया है। विशेषता तो यह है कि महाभारत-जैसे कथासागरको आपने गागरमे ही भर दिया है। श्री महावीरकी जीवनकथा, प्रभु अरिष्टनेमीका उत्कृष्टत्याग, और गजसुकुमालका अडोलधैर्य आदि-आदि अनेक उज्ज्वल-जोवनप्रसग इस पुस्तकने बड़ी खूबीसे चित्रित किये गए है। __ अत. यह पुस्तक नवपाठकोके लिये व इतिहासप्रेमियोंके लिये बड़ी उपयोगी व प्रेरणादायक साबित होगी ऐमो मेरो दृढ धारणा है। निवेदक चन्दनमुनि

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