Book Title: Jain Jivan Author(s): Dhanrajmuni Publisher: Chunnilal Bhomraj Bothra View full book textPage 6
________________ : ख: भूमिका कोई व्यक्ति अपनी मुडीमे रंग लेकर कहता है कि मेरी मुट्ठी में हाथी है, घोडा है, बिल्ली है, और बाघ है । इस कथनने प्राय. नभी लोगोको श्रारचर्य होगा, कि यह क्या पागलको नी बाते बना रहा है । लेकिन वही मनुष्य उन रंग को पानीने घोल कर एक तुलिकामे कागज के ऊपर हाथो का आकार बनाकर ना है कि यह क्या है ? तो तीन सालका बच्चा भी बोल देगा'यह हाथी है' सज्जनो | चरित्र-चित्ररण इमीका नाम है । व्यानुयोग की गहरी बात भी उदाहरण, हृष्टान्त र युक्ति द्वा नहना गले उतर जाती है । इसी लिये तो श्रनुयोग-चतुष्टयमं धर्मक्यानुयोगको स्थान मिला है । नन्हे-नन्हे बालक भी अपनी दादी- माना को प्राय मोन के नमय कहते ही रहते है कि हमे कोई बहानी सुनायो ! नय वृद्ध मातायें सुनाती है और बच्चे बड़ी दिलचम्पीने नुनते है । वार्थ देखा जाय तो वे कहानियां बालकोका जीवन बनाती है, मूलभूत सम्बार डालती है श्रीर उनका भविष्य तयारीने फलित होता है तान्यायिकाए बहुत उपयोगी मानी गई 1 त्याविकाएं दो प्रकार होती है-एक ऐतिहािPage Navigation
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