Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 32
________________ जैनहितैषीultiffilimERINARHI अखबार, गवाह-और सबसे बड़ा प्रमाण रूलका दौलत०-बड़ी कृपा हुई ! हूला । इतनेपर भी मैं तुम्हारा प्राणनाथ बना बिहारी-अच्छा सेठजी, आपको कुछ हुआ हूँ ! मैं कौन हूँ ? मैं नहीं हूँ। शिक्षा मिली या नहीं ? चुन्नी-नहीं, तुम हो। दौलत०--बहुत कुछ । यह मेरा पुनर्जन्म दौलत०--यह सुनकर बहुत खुश हुआ। है। चुन्नी"तुम नाहक ख़फ़ा क्यों होते हो! गाना। दौलत-मैं खफ़ा हूँ, चिढ़ गया हूँ, मुझे ग़ज़ल ( सोहनी) हैरान न करो, मैं वनको जाऊँगा। व्यर्थ ही तूने जमा जोड़ी चुन्नी-मैं भी जाऊँगी। __ मिला सुख क्या भला? ... दौलत-मैं फ़कीर हो जाऊँगा। हाय, इसके वास्ते काटा चुन्नी-मैं फ़कीरिन हो जाऊँगी। __ अनेकोंका गला ! दौलत०-और तपस्या करूँगा कि पुनर्ज- गाड़ना, संदूकमें रखना, न्ममें मुझे ब्याह न करना पड़े । और अगर जमाकरना, वृथा। ब्याह भी करना पड़े तो तुम्हारे ही साथ न कालके आगे कहीं चलती करना पड़े। किसीकी है कला ? चनी-मैं तपस्या करूँगी कि तुम्हारे ही जो न परउपकारमें या साथ मेरा ब्याह हो । भोगमें दौलत लगी। दौलत-नहीं, तुम मुझे प्यार नहीं करतीं। तो कहो, फिर साथ चुन्नी-वाह, प्यार क्यों नहीं करती। उसको कौन अपने ले चला! ' . (बिहारी सिर हिलाता है ।) दान या तो भोग या फिर दौलत०--सिर हिलाते हो ! अब क्या कोई नाश धनकी गति कही। और उपद्रव सोच रहे हो। जो न देता और खाता, बिहारी-तुम्हारा यही विश्वास है नाश ही उसको फला॥ दौलत०-विश्वास ! अब क्या यह साबित सूमके पीछे सभी धन करना चाहते हो कि यह मेरी स्त्री भी नहीं है! दसजगह लुट जायगा। जन्मपत्र निकालोसार्टीफिकेट हासिल करो- इस लिए खाले, खिलाले अखबारमें लिखो। और बनले मनचला ॥ बिहारी-अच्छा तुम्हारी स्त्री तुमको देता हूँ। (पर्दा गिरता है।) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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