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AIIMILAIMULA.
जैनहितैषी
एक उच्चश्रेणीका वाईप्लेन तैयार किया था । सन् नगरके ऊपर एक स्तम्भके चारों ओर १००० १८९४ ई० में फारवार नामक एक फरासीसी फुट ऊँचाई पर भ्रमण किया और १९०९ की सेनापतिने भी लिलियेन्थाल की प्रणालीके अनु- ३१ वीं दिसम्बरको मरिस फारमेनने ४० मिनटमें सार व्योमयान बनाया था।
४७ मीलकी यात्रा तय की। सन् १९०६ ई० में सेन्टच्-डूमण्ट नामक
___ इसके पश्चात् पहले कही हुई रीतिके अनु
सार कई लोगोंने आकाशभ्रमण किया और एक गगनविहारी परीक्षा-भूमिमें अवतीर्ण हुआ।
इसके बाद व्योमयानके द्वारा लम्बी लम्बी यात्रायें उसे ८३ फुट लम्बे स्थानका भ्रमण करनेके
करना भी सहज हो गया । आकाशमें जो लोग उपलक्षमें आकंडेकन-पुरस्कार मिला। कहा जाता
बहुत ऊँचे तक उड़े हैं, उन सबमें लेथम और है कि एडके सिवा सबसे पहले पूरी पूरी सफ
केवेजरका नाम ही सबसे प्रथम उल्लेखनीय है । लताके साथ इसीने आकाशभ्रमण किया था।
इनके बाद भी लेगान्न १०७४६ फुट ऊँर्चाइ एक महीनके बाद वह प्रायः ७४० फुट तक जानेमें समर्थ हए थे। टरीतक भ्रमण करने लगा था । इसके बाद लिलियेन्थालके समयसे ही जर्मनी में सबसे सन् १९०८ में हेनरी फारमेनको ३३०० फुट पहले बेलन-रचनाका काम प्रारंभ हुआ था। परिधिकी एक त्रिकोणाकृति भूमि परिभ्रमण क- इसके पश्चात् ही जर्मनीमें वायुयान-निर्माणका रने के उपलक्ष्यमें ३ लाख रुपयेका आर्कडेकन काम बड़ी तेजीके साथ चलने लगा । बहुत पुरस्कार मिला।
संभव है कि जर्मनीने अपने पक्षके देशोंमें गुप्त- इसी समय व्योमविहारके लिए फाँसमें बहु- रीतिसे युद्धविभागके व्यवहारके लिए व्योमयातसे यंत्र बनें, जिनमेंसे अनेक यंत्र परीक्षाके समय नोंके बनानेका उत्साह दिया हो । उसने नष्ट हो गये और इस काममें बहुतेरे मनुष्योंके अगणित अर्थव्यय और भगीरथ प्रयत्नके बलसे प्राण भी गये । सन् १९०८में अमेरिकाके विलवर बहत थोडे समयमें ही वायुयानोंको इतनी उन्नत राइटने व्योमयानकी सहायतासे अनेक आश्चर्य
* आश्चय- अवस्थामें करके संसारको चकित कर दिया है। जनक काम दिखाकर कुछ समयके लिए सब १९ वीं शताब्दीके शेष भागसे जर्मनीमें व्योमलोगोंकी दृष्टि अमेरिकाकी ओर खींच ली । किन्तु यानोंकी उन्नतिके लिए बड़े बड़े आयोजन हुए, इसके बाद जब मि. फारमनने सेलनस्से रिम्स बड़ी बड़ी परीक्षा हुई । इसी समय इस आन्दोनगर तक २१ मीलकी उड़ान भरी, तब सबकी दृष्टि लनके क्षेत्रमें काउंट जेपेलिन उतरे और यरोपकी ओर आकर्षित हुई । इसके बाद लुईस उन्होंने व्योमविहारके लिए एक अद्भुतयंत्र निर्माब्लेरियट १९ मीलका भ्रमण करके अपने स्थान ण करके सबको विस्मित कर दिया। उन्होंने पर लौट आया। सन् १९०९ के जुलाई महीनमें अपने नामके अनुसार इस यंत्रका नाम भी मि. लेथामने इंग्लिशचेनलको लाँघनेकी ‘जेपेलियन ' रक्खा । इनकी जीवन-कहानी चेष्टा की थी, परन्तु पहली वार विफलमनोरथ बड़ी आश्चर्यमय है । आत्मविश्वासके बलपर होनेपर उन्होंने अपने व्योमयानको ब्लेरिमट मनुष्य किस तरह अनेक बाधा-विघ्नोंको हटाकर नामक व्यक्तिको बेच डाला । २५ वीं जुलाई- निर्भय मनसे अपने कार्य-साधनमें अग्रसर हो को सबसे पहले मि० ब्लेरियटने इंग्लिशचेनलको सकता है-उनके जीवनसे इसकी अच्छी शिक्षा लाँघा । इसके पश्चात् कोम डि लामवार्टने पारी- मिलती है ।
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