Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 31
________________ पुनर्जन्म । दारोगा -- चुप रह । दौलत ०[० - - अच्छा चुप रहूँगा । दारोगा -- ( बिहारीको दिखाकर ) ये कौन हैं ? दौलत ० --- पहले थे मेरे--अर्थात् दौलतराम के बहनोई; लेकिन अब उसकी विधवा स्त्री के पति हैं ! देख लिया । गरीबोंको सताकर और अपनेको भी धोका देकर जो रुपया मैंने जमा किया है वह इन लोगोंके यों उड़ाने के लिए ! बस, अब नहीं ! अब अगर मैं अपना जीना साबित कर सका तो ग़रीबोंको अन्न-वस्त्र बाँदूँगा - और खुद भी पेट भरकर खाऊँगा । जबतक साबित नहीं करता तब तक हँस- लो-खालो । अगर अपना जीना साबित न करसका तो वनको । चला जाऊँगा और इस लिए तपस्या करूँगा कि पुनर्जन्म न हो । दारोगा -- यह तुम सच कह रहे हो ? दौलत ० - जी मैं झूठ कभी कभी बोलता हूँ दारोगा - नाक रगड़ो, कान पकड़ो । दौलत ० - - क्यों जमादार साहब ? दारोगा - चुप रहो, कान पकड़ो । दौलत ०. ० - अच्छा साहब । ( वही करता है ) दारोगा - कहो - मैं कभी किसी जन्ममें सेठ दौलतराम नहीं था । दौलत ० - ऐसा ही होगा साहब । मैं कभी दारोगा - चुप रहो ! दौलत ०- ( डरकर ) जी ! न था । बिहारी - Barred by limitation. दारोगा - अच्छा, छोड़ दो । बिहारी - ( दारोगा से ) चलिए, कुछ जलपान कर लीजिए । दौलत ० -- और मेरी भूतपूर्व विधवा के साथ दारोगा साहबकी जान पहचान भी करा देना । Jain Education International ( दौलतके सिवा सब चल देते हैं ) दौलत ०- ( आप ही आप ) अन्तको सलके हूलोंसे यह साबित होगया कि मैं दौलत सेठ नहीं हूँ । कहा ही है कि मारके आगे भूत भागते हैं । नहीं भाई, मैं मरगया था, यह बात झूठ नहीं है । मरगया था । यह मेरा पुनर्जन्म है ! आज नया अनुभव और नया विश्वास पाकर मैं फिर जी उठा हूँ | मरनेके बाद जो कुछ होनेवाला था वह जीतेजी अपनी आँखोंसे ही २०७ ( बिहारी और चुन्नीका प्रवेश ) ( चुन्नीका गाना ) इसीसे रखूँ तुम्हें नजरोंमें | तनिक फिरी जो आँख पिया तो देख न पड़ें घरों में | इसी ० रत्न समझ, आँचलमें बाँधू, पीतम तुम्हें नरोंमें । आओ, रसमें रीस भला क्या, चलो चलें कमरोंमें ॥ इसी० ॥ चुन्नी - ( दौलत से ) क्या सोच रहे हो ? दौलत ० – यही कि ! ( हाथ जोड़कर बिहारी से ) प्रणाम । ( प्रणाम करना । फिर चुन्नीके हाथ जोड़ना ) क्या हुआ है ? बिहारी - दौलतरामजी ! दौलत - कौन दौलतराम ? बिहारी - तुम ! दौलत ० - कौन कहता है ! तुम लोगोंने मिलकर अभी साबित कर दिया है कि मैं सेठ दौलतराम नहीं हूँ । अब मैं दौलतराम हूँ ? नहीं, मैं दौलतराम नहीं हूँ । चुन्नी - अजी खफा क्यों होते हो। तुम तो मेरे प्राणनाथ हो । दौलत ० -- कैसे ! अभी तो सब साबित हो गया है । जन्मपत्र, डाक्टरका सर्टीफिकेट, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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