Book Title: Jain Gyan Gun Sangraha Author(s): Saubhagyavijay Publisher: Kavishastra Sangraha Samiti View full book textPage 6
________________ "पोषधविधि" का तो ग्रन्थ के साथ खास संबन्ध है, क्यों कि 'पोषधवत' का ग्रन्थमें निरूपण है तो उस के लेने पारनेकी विधि भी बतानी चाहिये ही, अतः 'पोषधविधि' का इस के साथ जोडमा बिलकुल प्रासंगिक है परन्तु 'प्रतिष्ठाप्रबन्ध' का इस ग्रन्थ के साथ क्या संवन्ध है ? यह एक प्रश्न है और उ. त्तर इस का यह है कि प्रस्तुत "जैनज्ञानगुणसंग्रह" 'गोलनगरीयपार्श्वनाथप्रतिष्ठा' का स्मारक ग्रन्थ है, गोलनगर के श्री जैनसंघकी प्रार्थना और आर्थिक सहायता से ही यह ग्रन्थ प्रसिद्ध किया गया है, इस दशा में "गोलनगरीयपार्श्वनाथप्रतिष्ठाप्रबन्ध" का भी इस के साथ छपना अन्यन्त जरूरी था। 'प्रतिष्ठाप्रबन्ध' को इस स्थायीसाहित्य के साथ जोडने का एक और भी कारण है, वह यह कि मारवाडमें प्रतिवर्ष छोटी बडी अनेक प्रतिष्ठायें हुआ करती हैं, और उनमें हजारों रुपया खर्च होता है, परन्तु कई जगह पर प्रतिष्ठाकारकों को . अपने काम में 'यश' नहीं मिलता, इसका मुख्य कारण प्रति कार्य सम्बन्धी योग्य व्यवस्था की खामी होती है। प्रतिष्ठा में कार्यव्यवस्था कैसी होनी चाहिये और उसके व्यवस्थापकों को अपने कार्य में किस प्रकार तत्पर रहना चाहिये, यह जानने के लिये 'गोलनगरीयपार्श्वनाथप्रतिष्ठाप्रबन्ध' एक पठनीय निबन्ध है / कोई भी प्रतिष्ठाकर्ता साधु और श्रावकगण इसमें लिखे मुजब प्रतिष्ठाकार्य की व्यवस्था करेंगे तो उन्हें अपनेPage Navigation
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