________________
जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१९ हम आपको पुरुषार्थी मानेंगे।" जीवन्धर ने सुरमंजरी से विवाह करने की योजना बनाई। यक्षेन्द्र के द्वारा “इच्छानुसार भेष बनाने" के प्रदत्त मंत्र से एक अत्यन्त वृद्ध पुरुष का भेष बनाकर सुरमंजरी के महल में प्रवेश कर गये। वहाँ उन्होंने मंत्र सिद्ध सर्वोत्तम गीत गाया; जिससे सुरमंजरी बहुत प्रभावित हुई। वृद्ध को विशेष ज्ञानवान जानकर उसने अपने इच्छित वर प्राप्ति का उपाय पूछा। वृद्ध ने कहा “कामदेव के मन्दिर में जाकर उसकी उपासना करने से तुम्हें इच्छित वर की प्राप्ति होगी।"
सुरमंजरी उस वृद्ध पुरुष के साथ कामदेव के मन्दिर में जाने को तैयार हो गई। जीवन्धरकुमार की योजनानुसार उस कामदेव के मन्दिर में बुद्धिषेण विदूषक छिपकर बैठा था। सुरमंजरी ने पूजोपरान्त कामदेव से पूछा “मुझे इच्छित वर कब और कैसे मिलेगा।" सुरमंजरी की बात सुनकर छिपा हुआ बुद्धिषेण बोला “हे सुन्दरी ! इच्छित वर आपको प्राप्त हो चुका है, वह आपके साथ आपके पास ही है।" सुरमंजरी ने वृद्ध की ओर दृष्टि फेरी तो जीवन्धर को सामने खड़ा देखकर वह आश्चर्य में पड़ गई और लज्जित हो गई। तदनन्तर सुरमंजरी के पिता कुवेरदत्त जीवन्धर से उसका विधिपूर्वक विवाह सम्पन्न करा देते हैं। ___ सुरमंजरी से विवाह करने के पश्चात् जीवन्धर अपने धर्म माता-पिता सुनन्दा एवं गन्धोत्कट के साथ सुखपूर्वक रहे। फिर अपने मामा गोविन्दराज के पास गये। गोविन्दराज अनेक दिनों से अपने भानजे जीवन्धर को राजा बनाने की योजनाओं पर विचार कर रहे थे। जीवन्धर के अपने घर पहुँचने