Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 04
Author(s): Haribhai Songadh, Swarnalata Jain, Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation
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साहित्य प्रकाशन फण्ड
श्रीमती प्रभाबाई प्रेमचन्दजी ( नरवर), सोनागिर
५०१ /- रु. देने वाले
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२५१ /- रु. देने वाले -
श्री खेमराज प्रेमचंद अभय कुमार जैन, खैरागढ़ श्री दुलीचंद कमलेश जिनेश जैन, खैरागढ़
ट्रस्ट, खैरागढ़
श्री कँवरलाल मोतीलाल जैन, ह. श्री ढेलाबाई, खैरागढ़ झनकारी बाई खेमराज बाफना चैरे. ब्र. ताराबेन मैनाबेन जैन, सोनगढ़ पुष्पा बैन भोपाल जैन, दिल्ली मनन चेतनभाई डगली, घाटकोपर २०१/- रु. देने वाले -
सौ. मनोरमा विनोद कुमार जैन, जयपुर श्रीमती ममता रमेश चन्द जैन शास्त्री, जयपुर श्रीमती सरोदेवी राजेन्द्रकुमार जैन, जबलपुर श्रीमती कमलादेवी पं. ज्ञानचन्दजी, सोनागिरजी रूबी राजकुमार जैन, धमतरी प्रीति बैन प्रज्ञा बैन, पालड़ी
१०१/- रु. देने वाले -
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श्री पन्नालाल मनोजकुमार गिड़िया, खैरागढ़ श्री पन्नालाल उमेशकुमार छाजेड़, खैरागढ़ ब्र. रमा बैन, सौनगढ़
५१ /- रु. देने वाले
स्वणा प्रदीपकुमार जैन, खैरागढ़
सुख के लिये सामग्री नहीं, संतोष चाहिये और संतोष तत्त्वज्ञान बिना संभव नहीं ।
विकल्प पर के लिये अकिंचित्कर है और अपने लिये अनर्थ के कारण हैं ।
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