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जैन दर्शन में प्रमाण मीमांसा
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(३) पुद्गल (भूत ) चैतन्यवान होता है यह जड़ पदार्थ का 'असम्भव लक्षण है। जड़ और चेतन का अत्यन्ताभाव होता है--किसी भी समय जड़ चेतन और चेतन जड़ नही बन सकता। वर्णन और लक्षण में भेद ___ वस्तु में दो प्रकार के धर्म होते हैं स्वभाव-धर्म और स्वभाव-सिद्ध-धर्म। प्राणी ज्ञान वाला होता है-यह प्राणी नामक वस्तु का स्वभाव धर्म है। प्राणी वह होता है, जो खाता है, पीता है, चलता है ये उसके स्वभाव-सिद्ध धर्म हैं। 'ज्ञान' प्राणी को अप्राणी वर्ग से पृथक् करता है, इसलिए वह प्राणी का लक्षण है। खाना, पीना, चलना-ये प्राणी को अप्राणी वर्ग से पृथक् नही करते-ईजिन ( Engine) मी खाता है, पीता है, चलता है, इसलिए ये प्राणी. का लक्षण नही करते, सिर्फ वर्णन करते हैं।