Book Title: Jain Darshan me Praman Mimansa
Author(s): Chhaganlal Shastri
Publisher: Mannalal Surana Memorial Trust Kolkatta

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Page 241
________________ जैन दर्शन में प्रमाण मीमांसा [२३३ प्रमाण समुच्चय-प्र० समु० प्रमाण नय तत्वारनाववारिका-प्र० न० २० प्रमाण नय तत्त्वालोकालंकार -प्र० न० प्रमेय कमल मार्तण्ड -प्र० क० मा० प्रवचनसार टीका-प्रव० टी० प्रश्न व्याकरण -प्रश्न प्रशाफ्ना-प्रज्ञा प्रज्ञापना वृति -प्रशा० ० पचास्तिकाय -पंचा पंचास्तिकाय टी०-पंचा० टी० ब्रह्मसूत्र (शांकर माष्य) ब्रह्म शा० भगवती जोड़-भग जोड़ भगवती वृति -मग० वृ० मगवती सूत्र-भग भागवत स्कन्ध-भा० स्क० भारतीय दर्शन-भा० द. भापा रहस्य-मा० र० मिनु न्यायकर्णिका-मितु० न्या० मज्झिमनिकाय-म०नि० माध्यमिक कारिका-मा० का० मीमासा श्लोक वार्तिक-मी० श्लो० वा. मुण्डकोपनिषद्-मुण्ड० कोप० मेरी जीवन गाथा (गणेश प्रसाद वर्णी) -मेरी० योग दृष्टि समुच्चय-यो० ६० श० लघीय-जयी० लोक प्रकाश-लो०प्र० वाश्य प्रदीप-वा०प्र० बात्सायन भाष्य-वा०भा०

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