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हिन्दू धर्म के अन्तर्गत भारत में उदित सभी धर्मधाराओं की गणना है। परन्तु सुविधा के लिए प्रस्तुत ग्रन्थ में मुख्यतया वैदिक परम्परा से विकसित धार्मिक सम्प्रदायों का ही समावेश किया गया है। यदि संभव हुआ तो बौद्ध तथा जैन धर्मधाराओं पर भी इस ग्रन्थ के क्रम में दूसरा ग्रन्थ प्रस्तुत किया जायगा। इस ग्रन्थ में संस्कृत वर्णमाला के अक्षरक्रम से प्रमुख शब्दों के अन्तर्गत हिन्दू धर्म के विविध विषयों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है । दूसरे शब्दों में, संग्रथन शैली कोशात्मक रखी गयी है । इसमें हिन्दू धर्म के निम्नांकित विषय संग्रहीत हैं :
१. धार्मिक वाङ्मय के प्रमुख ग्रन्थ, २. धर्मप्रवर्तक, आचार्य, सन्त, लेखक आदि, ३. पूजापद्धति : कर्मकाण्ड, उपासना एवं योग, व्रत, उत्सव आदि, ४. देवमण्डल तथा अर्द्ध देवयोनि, ५. धर्मविज्ञान, ६. धर्मशास्त्र, ७. धार्मिक तथा नैतिक आचार, ८. तीर्थ, पवित्र नदी, पर्वतादि, ९. धार्मिक सम्प्रदाय, १०. लोकविश्वास आदि ।
हिन्दू धर्म का वाङ्मय काल और देश की विशाल परिधि में बिखरा पड़ा है। ऋग्वेद से लेकर आधुनिक सन्तों के वचनों तक हिन्दू धर्म का महासागर बढ़ता जा रहा है । अतः विषयों और शब्दों के चुनाव का प्रश्न बड़ा विकट है। वास्तव में इस प्रकार के कोश का निर्माण शब्दों के संकलन में ही नहीं, शब्दों के छोड़ने के व्यायाम में भी है। फिर भी साहस बटोरकर शब्दों का संग्रह और त्याग करना पड़ता है । जिन स्रोतों से शब्दों का चुनाव और संकलन किया गया है, वे निम्नांकित हैं:
१. वैदिक संहिताएँ २. ब्राह्मण ग्रन्थ ३. आरण्यक ४. उपनिषद् ५. वेदाङ्ग ६. सूत्र ग्रन्थ-श्रौत, धर्म और गृह्य ७. रामायण और महाभारत ८. पुराण तथा उपपुराण ९. स्मृति ग्रन्थ १०. दार्शनिक (धर्मवैज्ञानिक) साहित्य ११. भाष्य तथा निबन्ध ग्रन्थ १२. तन्त्र और आगम १३. प्रमुख प्रादेशिक भाषाओं का धार्मिक साहित्य १४. साम्प्रदायिक धार्मिक साहित्य १५. धार्मिक सुधारणाओं तथा आन्दोलनों के इतिहास ग्रन्थ १६. लोकधर्म का अलिखित अथवा मौखिक साहित्य आदि ।
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