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"कंकाली टोल से महावीर की एक अति सुन्दर व प्राचीनतम मूर्ति सम्भवतः 53 ई. पू. की मिली है। दिल्ली में संग्रह क्र. 48-4/3 महावीर प्रतिमा भी अनूठी है। " मथुरा संग्रहालय में क्र. 2126 की महावीर प्रतिमा नौ इंच ऊँची एक पीठिका पर सुशोभित है। इसके पादपीठ में खुदे हुए अधूरे लेख में 'वर्द्धमान' नाम स्पष्ट हैं, किन्तु समय निश्चित नहीं हो सका है। ""
“कुम्भरिया के महावीर और शान्तिनाथ मन्दिरों में (11वीं शती ई.) और कल्पसूत्र के चित्रों में महावीर के पंचकल्याणकों तथा पूर्वभवों एवं तपस्या के समय शूलपाणि यक्ष, संगमदेव आदि के उपसर्गों, चन्दनबाला से महावीर के प्रथम भिक्षा ग्रहण के कथा-प्रसंग दिखाये गये हैं। तथा एलोरा में महावीर की लगभग 12 मूर्तियाँ हैं, जिनमें से 6 मूर्तियाँ गुफ़ा सं. 30, 4 गुफा सं. 32 और दो मूर्तियाँ गुफा सं. 33 में हैं ।" विद्यानन्द मुनि का कथन है- “सेनापतिचामुण्डरायकृत 'वर्द्धमान पुराणम्' ( कन्नडभाषा) के पृष्ठ 291 पर एक चित्र है। प्रस्तुत चित्र यमुना, मथुरा से प्राप्त 8 इंची मूर्ति की शिलापट्टिका पर उत्कीर्ण है। यह मथुरा पुरातत्त्व संग्रहालय, संग्रह सं. 1115 ( हरीनाई गणेश) की कुषाणकालीन प्रतिमा का है। इस चित्र में क्रीडारत राजकुमार हैं - वर्द्धमान, चलधर, काकधर, पक्षधर, बकरे जैसे मुखवाला संगमदेव जो वर्द्धमान की निर्भयता से प्रभावित होकर उन्हें कन्धे पर बैठाये नृत्व-विभोर है।" इन उद्धरणों से भगवान महावीर की ऐतिहासिकता एवं जीवनी के क्रमिक विकास पर प्रकाश पड़ता है 1
बौद्ध- 'त्रिपिटक' में भगवान महावीर
जैन आगम ग्रन्थों में गौतम बुद्ध के कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिलते। किन्तु बौद्ध 'त्रिपिटक' में निम्गण्ठ नातपुत (निर्ग्रन्थ ज्ञातृपुत्र) के नाम से महावीर और उनके उपदेश आदि के सम्बन्ध में अनेक संकेत पाये जाते हैं। "इनका पता लगभग सौ वर्ष पूर्व तब चला जब लन्दन की 'पालि टेक्स्ट सोसायटी' तथा 'सेक्रेड बुक्स ऑफ़ दि ईस्ट' नामक ग्रन्थमालाओं में बौद्ध एवं जैन आगम ग्रन्थों का प्रकाशन आरम्भ हुआ। डॉ. हर्मन याकोबी ने आचारांग, कल्पसूत्र, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन सूत्र का अनुवाद किया (से. बु.क्र. 22 व 15) और उनकी प्रस्तावना में पालि साहित्य के उन उल्लेखों की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिनमें निग्गण्ठ नातपुत के उल्लेख आये हैं।
1. महावीर जयन्ती स्मारिका, राजस्थान जैन सभा, जयपुर, 1963, पृ. 21.
५. नवनीत पत्रिका, जून 1979, पृ. 58.
3. कुमुदागेरि जैन महापुराण कलापरक अध्ययन, पृ. 106.
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4. विद्यानन्द मुनि तीर्थंकर वर्द्धमान, पृ. 37.
5. डॉ. हीरालाल जैन महावीर युग और जीवन दर्शन, पृ. 42.
16 : हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर