Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उभयलिंग लिखना पड़ा है किंतु कुछको हमने, उनके अधिकतर प्रयोगके आधारपर, केवल पुंलिंग या स्त्रीलिंगका ही माना है। महिमा, लघिमा, गरिमा, अग्नि आदि शब्द संस्कृतमें पुंलिंग होते हुए भी हिंदीमें स्त्रीलिंगमें ही आते हैं और जय, विजय, आत्मा आदि भी अब अधिकतर लेखकों द्वारा स्त्रीलिंगमें ही प्रयुक्त होते हैं। हाँ, 'सामर्थ्य' अब भी प्रायः दोनों लिंगोंमें प्रयुक्त होता है, यद्यपि 'मामर्थ' केवल स्त्रीलिंगमें ही देख पड़ता है। पारिभाषिक शब्द पारिभाषिक शब्दोंके निर्माणमें हमें प्रायः संस्कृतसे ही सहायता लेनी पड़ी है। इसका मुख्य कारण यह है कि हिन्दीके सिवा देशकी अन्यान्य भाषाओं-बंगला, मराठी, गुजराती, तेलगू आदिमें भी संस्कृतके शब्द प्रचुर संख्यामें पाये जाते हैं; अतः इसके आधारपर बनाये गये शब्द अन्य प्रदेशवालोंके लिए भी बोधगम्य एवं ग्राह्य हो सकते हैं । इसके सिवा धातुओंके पूर्व उपसर्ग लगाकर तथा तद्धित-प्रत्ययों द्वारा संस्कृतसे भिन्न-भिन्न अर्थोंका द्योतन करनेवाले अगणित शब्द आसानीसे गढ़े जा सकते हैं। फिर भी हमने इस बातका भरसक प्रयत्न किया है कि पारिभाषिक शब्द अधिक कठिन और दुरूह न हों। यों नये शब्दोंका प्रयोग आरम्भ करने में कुछ दिनोंतक थोड़ी-सी कठिनाई तथा अरुचि या अप्रवृत्ति जैसा अनुभव होता ही है किंतु राष्ट्रभाषाके विकास एवं देशहितकी दृष्टिसे इसका सामना करनेके लिए हमें समुद्यत रहना चाहिये। हिन्दी इस समय संक्रमणकालकी स्थितिमें है, अतः पारिभाषिक शब्दोंके सम्बन्धमें एकरूपता और ऐकमत्यकी आशा करना व्यर्थ है, विशेषकर यह देखते हुए कि इस दिशामें कोई सुव्यवस्थित और सुसंघटित प्रयत्न नहीं हो रहा है। केन्द्रीय सरकार यदि चाहती तो यह काम अधिक तेजीसे और अधिक अच्छे ढंगसे हो सकता था पर उसकी कार्य-पद्धति एवं मन्थरगतिसे हमें निराश-सा होना पड़ रहा है। फिर भी काम तो कुछ हो ही रहा है और विभिन्न विषयोंकी जो नयी-नयी पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं, उनमें तथा समाचारपत्रोंके स्तम्भोंमें कितने ही पारिभाषिक शब्दोंका प्रयोग हो रहा है। इनकी संख्या भी क्रमशः बढ़ती जा रही है। हमने इस कोशमें अंग्रेजी पारिभाषिक शब्दोंके जो पर्याय दिये हैं, उन्हें अंग्रेजी बिलकुल न जाननेवाले या कम जाननेवाले पाठक भी भली भाँति समझ सकें, इस दृष्टिसे शब्दके साथ ही सरल हिन्दीमें उसकी व्याख्या देने या आशय समझानेका भी प्रयत्न किया है। अंतके पृष्ठोंमें समस्त पारिभाषिक शब्दोंकी सूची भी पृथक रूपसे अंग्रेजी-हिंदीमें दे दी गयी है जिससे अंग्रेजी शब्दोंका पर्याय ढूँढ़नेमें विशेष सुविधा हो । विभिन्न कवियों या लेखकों द्वारा प्रयुक्त विशिष्ट शब्दोंका अर्थ और अधिक स्पष्ट करनेके उद्देश्यसे उनकी रचनाओंसे सैकड़ों उदाहरण भी, जहाँ आवश्यक प्रतीत हुआ, वहाँ दे दिये गये हैं। इस प्रकार इस 'ज्ञान शब्द कोश'को हमने हिन्दीप्रेमियों और पाठकों के लिए अधिक अधिक उपयोगी बनानेका प्रयत्न किया है। यदि इससे उन्हें यथेष्ट सहायता मिल सकी तो इन पंक्तियोंके लेखकको और साथ ही प्रकाशकको भी इससे परम सन्तोष होगा। निवेदक मुकुन्दीलाल श्रीवास्तव For Private and Personal Use Only

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