Book Title: Gurupad Pooja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माटे ज्ञानदाता गुरु आ विश्वमां पूज्यतम छे. गुरु संबंधि महिमा शास्त्रोमां बहुधा प्रतिपादन करवामां आव्यो छे. उपरोक्त गुरु गुणयुक्त शास्त्रविशारद जैनाचार्य योगनिष्ठ सदगुरु श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी वि० सं० १९८१ ना जेष्ठ वदी ३ मंगलवार प्रभातमा सवाआठ वागे विजापुर मुकामे स्थूल देहनो त्याग करी परमपदने प्राप्त थया. तेओश्री जैन जैनेतर समग्र प्रजाने केटला उपकारकारक अने केटला प्रिय हता तेनो उल्लेख करवा करतां तेओश्रीना देहांत समाचार जाणतां देशदेशांतरोना कागलो अने तारो अमारा पूज्य गुरुश्रीना उपर आवेला के जे हालमां मु. पादरा अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडल तरफथी छपाइने बहार पड्या छे, ते वांचवाथी सर्व कोइना जाणवामां आवशे. वली प्रातःस्मरणीय गुरुदेव सदाने माटे आपणा पुष्टावलंबनरूपे उपकार कर्याज कर तेवा हेतुथी गुरुपतिमाने गुरु समान मानी गुरु विरहे गुरु स्थापना पण गुरु समानज छे, ए हेतुथी गुरुश्रीनो जे स्थले अग्नि संस्कार करवामां आव्यो हतो ते स्थले अमारा गुरु महाराजना सदुपदेशथी समग्र जैन संघना उदार हाथ नीचे विजापुरना जैनसंघे मनोहर समाधिमन्दिर तैयार करावी तेमां गुरुमूर्ति स्थापन करी छे. ते मंगलमयमूर्तिनी पूजामाटे घणा मुनिओ तथा सद्गृहस्थो तरफथी मागणीओ थवाथी गुरुभक्ति निमित्ते अमारा परमपूज्य गुरुश्री अजितसागरसूरिजीए सुल For Private And Personal Use Only

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