Book Title: Gurupad Pooja Author(s): Ajitsagarsuri Publisher: Shamaldas Tuljaram Prantij View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ॐ वन्दे श्रीमहावीरमा निवेदन आ दुनियामां दश दृष्टांते दुलप सोमा धन पारी आत्मसाधन कर, एज सौथी प्रथम कत्तव्य छ. पैते आत्मसाधन तत्वज्ञान शिवाय सिद्ध थतुं नथी. वली ते तत्वज्ञाननी प्राप्ति सद्गुरुद्वारा थइ शके छे. कारण के विशाल नेत्र छतां पण अंधकारमा रहेली वस्तु जेम माणसो देखी शकता नथी, तेम अज्ञानथी आवृत्त बुद्धिवाला पामर पुरुषो ज्ञेय वस्तुने ओलखी शकता नथी. माटे सद्गुरुनो आश्रय एज मुख्य ज्ञान साधन छे. कारणके । नास्ति तत्त्वं गुरोः परम् ॥ गुरुथी अन्य कोइ श्रेष्ठ वस्तु नथी. तेमज गुरुत्व विनिश्चयमां पण कर्तुं छे के: गुरु आणाए मुक्खो, गुरुप्पसायाउ असिद्धिओ। गुरुभत्तीए विज्जा, साफलं होइ णियमेणं ॥१॥ गुरुनी आज्ञा प्रमाणे प्रवृत्ति करवामां आवे तोज मोक्ष लाभ थइ शके. गुरुमहाराजनी प्रसन्नताथीज अष्टसिद्धिओ प्राप्त थाय छे. गुरुभक्ति विना विद्याभ्यास करवामां आवे छतां For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 102