Book Title: Epigraphia Indica Vol 25
Author(s): Sten Konow, F W Thomas
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 281
________________ 236 EPIGRAPHIA INDICA. [VoL. Xxv. Bhögēsvaradēva now converted into a pasture, one hundred rupees have been deposited with the merohant guild of Jayapura. And from the interest of this one hundred rupees should be met, year after year, the cost of guggula for the (worship of the) god Bhögēsvara until the sun, moon and stars endure. Whosoever shall interfere with this shall be possessed with the five great sins. Grant B. TEXT. First Plate. 1 ओं' जयस्वाविष्कृत विष्णोर्बाराहं क्षीभिततार्सव(वम्) [*] दक्षिणीवत[दं]ष्ट्राम2 विवान्तभुवनं वपुः [॥१*] श्रीमतां सकलभुवनसंस्तूयमानमानमान - 3 व्यसगोत्राणां सप्तलीकमाभिमप्तमाभिरभिवहिताना कार्तिके4 यपरिरक्षणप्राप्तकल्याणपरंपराणं भगवनारायणप्रसादस5 मासादितवराहलांछनेक्षणक्षणवशीलताशेषमहीभृतां हारीतीपुत्रा6 णां चलुक्यानामन्वये सकलमहीमहलेकतिलको महाराजाधिराजपर7 मेजरबीविक्रमादित्यवशभस्तत्यादप्रसादीपजीवी स्वपुचनिर्विशेषो 8 हरिचन्द्रवंशस्थालंकारभूतः भरदुपगमप्रसबमडलबन्द्रमा व प्र9 जानामानन्दकारी श्रीस्वामिचन्द्री नाम राजा येनेदं चतुर्दशग्रामसहस्र10 संख्यं सकलमु(म)पि पुरोकोंकणं भुक्तमासीत् [*] तस्य च रानः धोखामि चंद्रस्य il पुत्री महाबलपराङ्गमाः*] श्रीसिङ्ग(सिंह)वर्मराजस्तस्थापि श्रीसिक(सिंह)वराजम 12 पुचचतुरुदधिजलतरंगालिंगितायां पृथिव्यां चन्द्र इव Second Plate ; First Side. 13 विख्याततजा[:*] पृथिवीचन्द्रापरनामधयी राजा श्रीभीगशक्तिः यीसौ बाल 14 एव पूर्वजन्माभ्यासेन स्वयं समुत्पबचानी भगवती वासुदेवस्थानवि18 विं प्रति सततमभियुक्ती बनवाब युधिष्ठिर इव नयविनयदयादानदाधि16 स्यादिभिर्गुणैरखंततस्मत्यवादी च भीमसेन इव प्रकटपराकमाणान्ताशेषस्वरा17 ज्यभूमिमंडली महाबलच अर्जुन इव जनाईनज्ञानोपदेशवर्ती समरविधिविधा18 रदय बलदेव व मृत्तगौतहसितविलसितक्रीडासुखीपभोगतत्परः क्षणं वि19 बातम प्रधुन व सकलयुवतिजनमनोहरं वपुरियबपि परकलचनि20 साः बनवारषयूथाधिपतिरिव सततमभिप्रहत्तदानार्दीतकरः पत्पिल)1 Expressed by a symbol. * One mand is redundant.

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