Book Title: Dropadiswayamvaram
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 5
________________ प्रस्तावना। इस नाटक की हस्त-लिखित प्रति हमें, नडियाद (गुजरात) निवासी श्रीमान् विद्वान् श्रीतनसुखराम मनसुखराम त्रिपाठी पी. ए. के पास से, साक्षर श्रावक श्रीयुत चिमनलाल डासाभाई ल एम. ए. (बडोदा के राजकीय पुस्तकालय के एक अध्यक्ष) प्राप्त हुई थी। प्रति यद्यपि तीन-चार सौ वर्ष जितनी लिखि हुई होंगी ( लिखने का समय नहीं लिखा ) परंतु ही अशुद्ध । कहीं कहीं कुछ पाठ भी छूटा हुआ था जैसा ९३ पृष्ट पर से विदित होता है। दूसरी प्रति की के लिये कुछ प्रयत्न किया गया परंतु सफलता नहीं मिली। एक मात्र उसी प्रति के आधार पर, यथामति संशोधन कर बुद्रित किया गया है। नाटक-गत वस्तु नाम से ही ज्ञात है। कृति साधारणतया अच्छी और रचना प्रासादिक है। इस के कर्ता का नाम है महाकवि विजयपाल । गुजरात के क्य-नृपति अभिनव सिद्धराज बिरुद धारक महाराज भीमदेव । आज्ञानुसार, त्रिपुरुष देव के सामने, वसन्तोत्सव के समय, * यह भीमदेव दूसरा भीमदेव कहा जाता है । सर्व साधारण में ' भोला-भीम ' के मुग्धतासूचक नाम से प्रख्यात है । यह, दिल्ली-पति धीराज चाहमान का समकालीन और उस का पूरा प्रतिपक्षी था । | विक्रम संवत् १२३५ से १२९८ ( इ. स. १९०९-१२४२) तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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