Book Title: Dropadiswayamvaram
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 27
________________ [२३] श्रीपाल के पिता से ले कर, इस नाटक के कर्ता विजयपाल के अस्तित्व का समय-अनुमान इस प्रकार होता है १ लक्ष्मण (वि. सं.) ११००-११५० २ श्रीपाल " ११५१-१२१० ३ सिद्धपाल १२११-१२५० ४ विजयपाल १२५१-१३०० अन्त में, श्रीयुत तनसुखरामभाई का आभार मान कर इस प्रस्तावना को समाप्त करते हैं, कि जिन की साहित्यप्रियता के कारण, गुजरात के सर्वश्रेष्ठ ऐसे इस कविकुल का नाम रखने वाले इस नाटक की जीर्णप्रति अभी तक विनाश के मुख में पड़ने से बच रही और अब पुनर्जन्म धारण कर, एक से अनेक बन कर, अमर होन का सौभाग्य प्राप्त किया । भारत जैन विद्यालय, मुनि जिनविजय । पूना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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