Book Title: Dhatuparayanam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Shahibag Girdharnagar Jain S M Sangh
________________ 424] पञ्चमं परिशिष्टम् - जार 3,2 जारणा 9,381 जारभरा 2,82 जाल 1,973 च / 9,120 जालक 9,120 जिघ्र 1,3 जित्य 1,8 जित्या 1,8 जित्वन 1,8 उ. . जित्वरी 1,8 च उ. जिन 8,17 उ. जिन्वितृ 1,487 जिष्णु 1,8 जिह्वा 2,71 उ. जीनि 8,17 जीमूत 1,601 [उ.] जीर 1,8 उ. जीरदानु 1,465 उ. जीणि 8,29 जील 1,8 उ. जीव 1,465 जीवक 1,465 जीवग्राहम् 8,10 जीवथ 1,469 उ. जीवनश् 3,59 जीवनाशम् 3,59 जीवन्त 1,465 उ. जीवन्ती 1,469 उ. जीवातु 1,465 उ. जीविका 1,465 जीवितृ 1,465 जुगुप्सा 1,763 ज्योतृ 1,595 जुडितृ 5,132 ज्योन्ताक 1,595 उ. जुष्य 5,158 जेतृ 1,9 जुहू 2,72 ज्वरम् 1,1054 जू 1,596 ज्वल 1,960 जूति 1,596 ज्वलन 1,960 जूरित 3,127 ज्वलितृ 1,960 जूणि 1,1054 उ. ज्वारम् 1,1054 जूर्ति 1,1054 ज्वाल 1,960 . जुष 1,517 ज्वाला 1,960 . जूषा 1,517 जूषित 1,517 जृम्भ 1,784 जृम्भा 1,784 जृम्भित 1,784 ज्ञाति 8,33 च. उ. जेतृ 1,8 ज्ञातृ 8,33, जेम 1,384 ज्ञापना 9,153 जेमन 1,384 जेय 1,8 जेषितृ 1,522,836 झञ्झा 1,383 उ. जेहित 1,867 झट 1,182 जैवातृक 1,465 उ. जोड 5,42 झटा 1,182 जोडितृ 5,42, 132 झर 3,3 जोतित 1,713 झर 3,3 जोतृ 1,596 झरितृ 3,3 जोषितृ 5,158 झर्चितृ 5,24 ज्यातृ 8,17 झर्झर 3,3 उ. / 5,40 उ. ज्यानि 8,17 झर्झरी 3,3 उ. ज्योतिष्क 1,937 झर्झरीक 3,3 उ. | ज्योतिम् 1,713, 937 उ. | झर्झरीका 3,3 उ.
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