Book Title: Dhatuparayanam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Shahibag Girdharnagar Jain S M Sangh
________________ उद्धरणसूचिः [473 ___ 10 . ..... वेत्तेविदितं विन्तेविनं..... 10 ..... वत्तविदित वित्तविन... ... (महाभाष्य 812158) 10 ... .... शवतिर्गतिकर्मा .............. (महाभाष्य आ१२) शुशूरेरिशरः शरैः / शेषो भुवं धीयते / श्रोतारमुपलभति श्वेतं नीलति मरकतकाम्त्या। संशय्यकर्णादिषु तिष्ठते यः / (किराता० 3 / 14 ) 18. सकर्मकाऽकर्मकत्वं... (कर्मयोगामृततरङ्गिणी ) सजमानमकार्येषु / ( का० नीति 4 / 41 ) महति कलभेभ्यः परिभवम् / ( सुभाषित. 631 इति क्षी. त. 21 . सहति कलभेभ्यः... (सुभाषिता० 631 ) सा नित्या सा महानात्मा..... ( वाक्यपदीय 3 / 1 / 34 ) ___सावष्टम्भनिशुम्भसुम्भन० ( मालतिमाधव 5122) सुखं स्वपिति गौगंडी। स्वाधीने विभवेप्यहो... ( सुभाषितावलि-३२३६ ) हम्मतिः सुराष्ट्रेषु / ( महाभाष्य आ० 115) हेडः प्रसादौ प्रभोः।
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