Book Title: Dhatuparayanam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Shahibag Girdharnagar Jain S M Sangh
________________ 472] अष्टमं परिशिष्टम् गण 10 धा. 78 20 गण 10 धा. 415 234 89 253 22 27 152 न चोपलेभे.... . (भट्टीकाव्य 3 / 27) नमस्तुङ्ग शिरश्चुम्बि- (हर्षचरित 1) न यमेन न जातवेदसा..... . नव ज्वरो लङ्घनीयः / निपातश्चोपसर्गश्व... (गणरत्नमहोदधि पृ. 43) नित्यं न भवनं यस्य... (तन्त्रवार्तिक 2 / 1 / 1 ) निवृत्तप्रेषणाघातो.... [सि. हे. बृ. वृ. 3 / 3 / 88 ] नीपांनान् दोलयन्नेषः... परार्थे क्लिश्यतः सतः / पांसुर्दिशां मुख... ( शिशुपाल० 5 / 2.) पूर्वापरीभूतं... (निरुक्त 1 / 1) प्रकृतेर्गुणसम्मुढाः... ( भगवद्गीता 3 / 29) प्रतिचस्करे न खैः / ( शिशुपाल० 1 / 47 ) . प्रतिरवपरिपूर्णा.... ( कविरहस्य श्लो. 42) प्रभवतीति स्वाम्यर्थः... प्रविघाटयिता समु... (कीराता० 2 / 46) प्राप्तक्रमा... (वाक्यपदीय 3 / 1 / 35) प्रियं प्रोथमनुव्रजेत् / ( उद्धृतम् अने. कै. 2 / 216 ) . भूवादयो धातवः (पा. 1 / 3 / 1) महिपाल वचः श्रुत्वा... (महाभाष्य 7 / 2 / 23, उ० वि० 20) माङ्गलिकत्वात् प्रथमस्य... मिलन्त्याशासु जीभूता...(शृङ्गारप्रकाशे इति पुरुषकारः पृ. 98) मुसलक्षेपहुङ्कार.... (उद्धृतम् अनेकार्थ के० 3 / 671) मेथिबद्धोऽपि हि भ्राम्यन् .. (द्र. सुभाषितरत्नावली 2958 इति क्षी. त. पृ. 125 ) मेरं स्पर्धिष्णुनेवायो... यद्वायुरन्विष्टमृगैः... ( कुमारसंभव 1 / 15 ) राजर्षिकल्पो रजयति रामो राज्यमकारयत् / (रामा० युद्ध 128 // 125 इति क्षी. त. पृ. 322) वान्ति पर्णशुषो वाता.... . ( उ० वि०२०) धा. 1 120 6 29 गण 3 धा. 25
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