Book Title: Dhatuparayanam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Shahibag Girdharnagar Jain S M Sangh
________________ 442] पञ्चमं परिशिष्टम् ब्रह्मज्य 8,17 ब्रह्मद्विष् 2,68 / ब्रह्मन् 1,560 उ. ब्रह्मभूय 1,1 ब्रह्मवद्या 1,998 ब्रह्महत्या 2,42 ब्रह्महन् 2,42 ब्रह्मोद्या 1,998 प्राह्मणब्रुव 2,67 ब्राह्मणाच्छंसिन् 1,550 भ भक्ति 1,825 भक्तृ 1,895 भक्ष 9,150 भग 1,895 भगन्दर 5,152 भङ्कत 6,14 . भङ्ग 6,14 भङ्गा 6,14 भङ्गुर 6,14 भज्य 1,895 भट 1,184 भरित्र 1,184 उ. भटिल 1,184 उ. भण्ड 1,693 / 9,67 (उ.) भण्डना 1,693 / 9,67 भण्डितृ 1,693 भदन्त 1,722 उ. भद्र 1,722 उ.। 9,67 उ. भन्दन 1,722 भवित 2,44 भन्दित 1,722 / भविन् 1,1 भन्द्र 1,722 उ. 19,67 उ. भविष्णु 1,1 भय 2,74 भव्य 1,112,44 भयानक 2,74 उ. भष 1,521 भर 1,886 / 2,82 भषक 1,521 भरट 1,886 उ. भषित 1,521 भरत 1,886 उ. भषी 1,521 : भरथुः 2,82 भा 1,846 / 2,3 . भरित 8,27 भाग 1,895 .. भरीतृ 8,27 भागिन् 1,895 भर 1,886 उ. भाग्य 1,895 भर्ग . 1,666 (उ.) भाज 9,166 . भर्म्य : 5,2 भाजा 9,166 . भजू 1,666 उ. / 5,2 उ... भाजी 9,166 भर्तृ 1,886 च उ. / 2,82 भाटक 1,184 भर्त्सना 9,279 भाटि 1,184 उ. भर्भर 8,27 उ. भाण 1,264 भरी 8,27 उ.. भाण्ड 1,693 उ., 787 उ. भभितृ 1,376 भातृ 2,3 भर्शितृ 3,62 . . भानु 2,3 उ. भाम 1,787 (उ.) भलितृ 1,812 भामितृ 1,787 भल्ल 1,813 भामिनी 1,787 भल्लि 1,813 [उ.] भार 1,886 / 2,82. भल्लितृ 1,813 भारहार 1,885 भल्लूक 1,813 उ. भार्य 1,886 / 2,82 भव 1,1 (उ.) भार्या 1,886 / 2,82 भवत् 2,3 उ. भालु 1,886 उ. भवती 2,3 उ. भालुक 1,812 उ. भवन 1,1 उ. भाल्लूक 1,813 उ.
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