Book Title: Dhatuparayanam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Shahibag Girdharnagar Jain S M Sangh

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Page 487
________________ 452 ] [ पञ्चमं परिशिष्टम् लोष्टित 1,672 लोष्टु 1,672 (उ.) लोहित 1,988 (उ.) ल्पीनि 8,21 ल्वीति 8,21 ल्वीनि 8,21 ल्वेतृ 8,21 . लुण्टाकी 9,39 लुण्ठ 1,225 लुप्ति 5,9 लुम्बि 1,369 [उ.]। 9,111 [उ.] लुष 1,501 लूता 8,12 उ. लूनि 8,12 च, उ. लेख 5,20 च. लेखा 5,22 लेखितृ 5,22 ले 2,71 / लेपितृ 1,761 लेप्तृ 5,10 लेश 4,134 / 5,103 लेष्ट्र 4,134 / 5,103 लेह 2,71 लेह्य 2,71 लोक 1,612 लोकम्पृण 5,46 लोचक 1,646 लोटित 3,34 लोत 8,12 उ. लोप 5,9 लोप्तृ 5,9 लोत्र 5,9 उ. लोब्धृ 3,55 / 5,76 लोभित 3,55 / 5,76 लोमन् 8,12 उ. लोषितृ 1,501 लोष्ट 1,672 (उ.) वक 2,38 वक्तृ 2,38,67 वक्त्र 2,38 उ. वक्र 1,106 उ.,६०८ उ. वक्षस् 1,577 उ. वकतृ 1,106,608 वङ्कित 1,608 वक्रि 1,608 उ. वन 1,84 वङ्घा 1,640 वचितृ 1,640 वचस् 2,38 उ. वज्र 1,136 उ. वज्रधर 1,887 (उ.) वञ्च 1,106 वञ्चथ 1,106 उ. वञ्चना 9,239 वट 1,176 वटक 1,176 वटि 1,176 उ. वटु 1,176 उ. वठर 1,294 उ. वडवा 1,701 उ. वणिज् 1,710 उ. वण्ट 1,205 वण्ठ 1,680 / 7,8 उ. . वण्ठितृ 1,680 वण्ड 1,691 / 9,47 (उ.) वण्डितृ 1,691 वति 1,329 / 7,8. वत्स 1,998 उ. वत्सर 1,999 उ. वद 1,998 (उ.) वदन्य 1,998 वदाम्य 1,998 उ. वदावद 1,998 उ. वदित 1,998 वध 2,42 वधक 2,42 उ. वधन 2,42 उ. वधि 1,746 उ. वधितृ 2,42 उ. वधू 1,996 उ. वधूटी 8,45 उ. वध्य 2,42 च उ.. वन 1,328 वनितृ 1,328,329 / 7,8 वनिष्ठु 7,8 उ. वन्ति 1,329 / 7,8 बन्दन 1,721 . वन्दना 1,721

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