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साधारण
धर्म
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सब मुख्य धर्म इस साधारण धर्म को मुख्य मानते हैं; प्रतएव इसके अनुसरण करने में किसी को न अपना धर्म बदलना होगा और न नवीन धर्म ग्रहण करना होगा । इस धर्म का तिरस्कार ही वर्तमान समय में सर्वत्र सब धर्मों और मन के हास का कारण है । अन्य सव धर्म इसी धर्म की प्राप्ति के लिये साधना के समान हैं । किन्तु शोक है कि आजकल अधिकांश लोग इस धर्म के महत्त्व को भूल गये और इसको त्यागकर अन्य उपधर्मो को इसके स्थानापन्न मुख्य धर्म समझने लगे हैं । इस अज्ञान के कारण आजकल धर्म-जा सदा सुखद और शान्तिप्रद है वह - विद्वेष, वैमनस्य, विवाद, फूट, घृणा, हिंसा, विपत्ति आदि का कारण हो रहा है और धर्म के नाम से यथार्थ धर्म की हत्या की जा रही है जो
अनर्थ का मूल हैं 1 इस साधारण धर्म के पालन से अखिल
जन- समाज और व्यक्ति दोनों का ऐहिक और पारलौकिक कल्याण है और इसके भङ्ग करने से दोनों की हानि है । अज्ञान के कारण आजकल के लोग सर्वत्र इस धर्म की उपेक्षा करते हैं, इस धर्म को मुख्य धर्म न मानकर इसके साधन उपधर्म को मुख्य मानते हैं और समझते हैं कि इस धर्म के पालन से व्यवहार में हानि होगी और इसके विरुद्ध चलने से व्यवहार में लाभ होगा । किन्तु यह नितान्त भ्रम है । साधारण धर्म को मुख्य मान लेने से और इसके अभ्यास में यत्नवान् होने से संसार में शान्ति हो जायगी; सब प्रकार के विद्वेष, चैम