Book Title: Dharm Karm Rahasya
Author(s): Indian Press Prayag
Publisher: Indian Press

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Page 174
________________ धर्म-कर्म - रहस्य अत्यन्त उत्कट पाप अथवा पुण्य के करने पर इसी जन्म में तीन वर्ष, तीन मास, तीन पक्ष अथवा तीन दिन में फल मिलता है । १५८ कर्म में अविश्वास आजकल जन साधारण को कर्म और अवश्यम्भावी कर्म के फल पर ठोक विश्वास नहीं है । लोग दृढ़ निश्चय करके यह नहीं समझते कि कर्म अनिवार्य है और कर्म करने पर उसका फल अवश्य भोगना पड़ेगा । लोग यह भी नहीं सम ते कि उनकी वर्त्तमान अच्छा अथवा वुरी अवस्था अपने किये हुए पूर्वकर्म का फल है और धर्म के अभ्यास से ही सुधरेगो अन्यथा नहीं । यदि कर्म पर विश्वास किसी प्रकार सिद्धान्त की भाँति हो भी तथापि लोग उक्त विश्वास को व्यवहार में एकदम भूल जाते हैं और कार्य में परिणत नहीं करते। इसके अनुसार कार्य्य नहीं करना चाहते, जिसके कारण वे धोखा खाते हैं और बुरे कर्म के करने के कारण बड़े-बड़े क्लेश पाते हैं और तब पछताते हैं जो व्यर्थ है । यदि लोगों को ठीक ठीक यह दृढ़ विश्वास व्यवहार में रहे कि किसी दुष्ट कर्म का अनिष्ट फल उनको अवश्य भोगना पड़ेगा और उस कर्म के करने से जो क्षणिक और स्वल्प सुख मिलने की आशा उनको है उसकी अपेक्षा भविष्यत् में उसके दुष्ट फल से जो दुःख मिलेगा उसकी

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