Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लेखक की कलम से भारत सरकार की हिंसा पोषक नीति के देखकर, मुझे अंतरवेदना जागृत हुई, और मैंने अपनी अंतरव्यथा को व्यक्त करने के लिए " देवनारका कतल खाना भारत के लिये कलंक रूप नामका निबंध लिखा । " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेरे लिखने का आशय यही है कि भारतीय प्रजा इस निबंध से जागृत बनें, और एक स्वरसे इस हिंसक योजना का विरोध करे । इस निबंध को पूज्य गुरूदेव प्रशान्तमूर्ति विद्वद्वरत्न उपाध्याय श्रीमत् कैलाससागरजी महाराज की सत् प्रेरणा व शुभ आशिर्वाद से लिखपाया है, इसलिये मैं उनका ऋणि हैं । साथही इस निबंध के लिये पूज्य व्याकरणाचार्य विद्वत्वर्य मुनिराज श्री हेमचंद्रविजयजी महाराज ने अपना शुभ समय निकालकर जा " पुरोवचन" लिखने का कष्ट उठाया है, उसके लिये मैं उनका आभारी हूँ । समवसरण का वडा भावनगर (सौराष्ट्र) १-९-६३ मुझे आशाही नहीं अपितु विश्वास है कि जनता इस निबंध को पढकर लाभ उठायेगी, तथा अपनी आवाज राजनेताओं के कानतक पहुंचाकर देवनारकी हिंसक योजना का बंद करायेगी । तभी मैं अपने प्रयास का सफल मानूंगा । पू. गुरुदेवश्री कल्याण सागरजी महाराज का चरण रेणु -- मुनि पद्मसागर For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58