Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

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Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाथ ! तुमने पशु बचाये, चार दिन को क्या बचाये विश्व रक्षक यदि बने थे, बीर क्यो शिवपुर सिधाये ? देखला नरमेध का यह विश्व भीषण थल बना है। तेरी भारत भूमि जोथी स्वर्ग सी जैन स्थली, आज बनने जा रही है वधस्थली यवनस्थली । गाय काटना तो हमारा राजनैतिक न्याय है, चर्म बाहर मेजना राष्ट्रीय अच्छी आय है। भारत बने यूरोप, ऐसी नीतिबाला दल बना है ॥ लाज सतियों की बचालो, वर्ण मेदादिक मिटादा, नाथ ! फिर श्रमणत्व का संसार में डंका बजादो। मूक पशुओं की सुनो तुम भूक वाणी सर्व ज्ञानी । और एटम को बनादो, आत्मबल से आज पानी । कुछ कृपा हो, वेदना से सिद्ध भर्मस्थल बना है। अपनी आत्म शुद्धि के लिये आईये हम कुछ प्रतिज्ञा करें। हम प्रतिज्ञा करें कि आज से हिंसा जन्य सर्व वस्तुओं का हमेशा के लिए त्याग कर देंगे। २. हम प्रतिज्ञा करें कि आज से सर्व अखाद्य व अपेय पदार्थो का हमेशा के लिए त्याग कर देगे। ३. हम प्रतिज्ञा करें कि आज से पक कर्म का छोड़कर अन्य किसी भी प्राणी को शत्रु नाहीं मानेगे। For Private And Personal Use Only

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