Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अतः कहने का तात्पर्य यह है कि भारत के लोगों को ससम्मान एव सुख पूर्वक जिंदा रहना है तो उपरोक्त तथ्यों पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिये। और देवनार जैसे भय कर कत्लखाने का चाहे जिस प्रकार होने से रोकना चाहिये। बलिदान की वेदी में अपने को हेामकर भी पशुधन का रक्षण करना चाहिये। अधर्म पाप नास्तिकता और घोर हिंसा के कारण देश और दुनिया पर आज कितने अनाचार, पापाचार, दुराचार, अत्याचार व भुखमरी रोग दुःख भूकम्प और युद्धोंका भय तुलाईमान हो रहा है। उसको प्रत्यक्ष देखकर और स्वयं अनुभवकर सत्ताधीशांको चेतना और समजना चाहिये । तथा लोगों को भी संस्कृति धर्म तथा पशुधन का आत्मोद्धारक मानकर उनकी रक्षा के लिये कटिबद्ध हो जाना चाहिये ऐसा समय का तकाजा है और हमारी यह अन्तिम प्रार्थना है। जीवदया के शुभ कार्य में मदद देने वालों के नाम :३००) श्री जैन श्वे. मू. तपागच्छ श्रीसंघ नागौर हस्ते-सेठ श्रीमान् सुगनमलजी साहब बोथरा नागौर (राजस्थान) ५१) श्री जैन धर्म प्रसारक समा, भावनगर अन्य दाताओं का नाम वार्षिक रिपोर्ट में छापा जायेगा। For Private And Personal Use Only

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