Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
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प्रथम प्रश्न है खाद्याभाव :खाद्याभावके कारणोंका. जब आप सूक्ष्म विचार करेंगे, तब आपका ज्ञात होगा कि-खाद्योत्पादनमें पशुधन कितना उपयोगी है। भारत आज कामी धनाढ्य देश नहीं है, कि हर व्यक्ति ट्रेक्टर या अन्य यंत्र उपकरण आदि रख सके । दूसरीबात यह भी है कि यांत्रिक खेतीसे जमीनका रसकल भी मारा जाता है । कदाच यांत्रिक खेतीले प्रथम कुछ वर्षों के लिए. लाभ भले ही दीखलाई दे, परंतु बादमें उस भूमीमें पैदाबारी घट जाती है। कुछ कृषि विशेषज्ञोंका भी ऐसा ही मत है । साथही खेतीकें लिए अत्यन्त उपयोगी जो खाद पदार्थ है वह फिर कहांसे प्राप्त हो सकेगा ? जो गुण प्राकृतिक खादमें मिलेगा, वह काई कृषिमा खादमें थोडेही मिलसकेगा ? पशुओंकी.. रक्षासे ही आजकी खाद्य समस्या हल होसकती है...अन्य किन्ही उपायांसें नहीं । और इसी यत्रवाद और यंत्रीकरणके कारणोंसे ही ता.आज . लोगोंमें अकर्मण्यता और बेकारी बढ़ रही है। अगर इस समस्याका. हल करना है तो हिंसात्मक-यघवादको छोडकर.. गृहउद्योग आदि पर लक्ष देना पड़ेगा। तभी इस समस्याका हल हो सकता है। अन्यथा नहीं।
अब दूसरा प्रश्न है कृषि को क्षति पहुंचानेका :यह प्रश्न भी गलत है। पहिले जन ऐसे साधनोंका आविष्कार नहीं हुआ था। उस समय भी लोग पेटभर खाना पाते थे । और यहांसे अन्यत्र खाद्यपदार्थ मेजे जाते. थे। उस समयके लोगोंने तो कभी ऐसी शिकायत नहीं की, कि हमारे कृषिको पशुओंके द्वारा क्षति पहुंचती है। अबतो उससे भी एक कदम आगे बढकर विद्यारे, क्षुद्र जीवजंतुओं तकका भी नहीं छोड़ते । विशामके नामपर. डी. डी. टीः आदि विषैली दवाओंका छिडकाव करके उनकामी नाश करदेते हैं। परंतु जरा सोचे-जब उन विप्रैली दवाओंका प्रभाष क्षुद्र जीवजन्तुओंपर पडसकता है, तोड़ा
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