Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
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उश्केराहट आर आवेश में आकर चाहे जिस प्रकार उस कतलखाना को बनने से रोकने के लिये कटिबद्ध हो जाय और देश भर में भय कर क्षोभ एवं अशान्ति उत्पन्न कर दें यह किसी प्रकार भी वांग्छनीय नहीं है । अतः वह सभा उस दुःखद स्थिति को रोकने के लिये भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार, बम्बई म्युनिसिपल कारपोरेशन और सब देश हितैषी सजनों से साग्रह अनुरोध करती है कि दुराग्रह का त्याग कर इस प्रजातन्त्र राज्य में प्रजा की इच्छानुसार प्रजा-प्रतिनिधियों का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वे देवनार कतलखाने की विनाशक योजना सर्वथा बन्द करनेकी अविलम्ब घोषणा करे और प्रजा में व्याप्त असन्तोष और अशान्ति का दूर करते हुए उन मूक प्राणियों को बयाकर पुन्य के भागी बने ।
श्री साँगाणीजी का भाषण
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उपरोक्त प्रस्ताव उपस्थित करते हुए श्रीयुत नारायणजी पुरुषोत्तम सांगाणीने अपने भाषण में कहा कि भूक एवं पारावार कष्ट सहन करने पर भी महान उपकारक प्राणियों के प्रति अपनी अनुकम्पा एवं जीवदया की भावना दिखलाने के लिये आप भावनगर के सब प्रजाजनांने सारे शहर में सम्पूर्ण हडताल मनायी, विराट जलूस सम्मिलित होकर तथा टाउन होल के विस्तृत बाग के मैदान में इतनी बृहद संख्या में आप अपने हार्दिक भावों को व्यक्त करने के लिये उपस्थित हुए हैं इसके लिये मैं आप सब महानुभावों को धन्यवाद देता हूं।
सज्जनों ! आज ता. ४ अक्टूबर के दिन संसार के किनने ही बुद्धिमान एवं जीवदया के प्रेमी लोग · विश्व प्राणी दिन" मनाते है, और जीव हिंसा नहीं करनेका उपदेश देते हैं । किन्तु लाखों वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति और धर्म का तो ये रद
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