Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐसा क्यों हो रहा है ? बहुमत तो उसका विरोधी है। अगर आज आप जाग्रत है, सशक्त हैं, और कुछ कत्तव्य निष्ठा अगर आप में हैं तो अवश्य आप किसी भी कार्य में सफलीभूत हो सकते हैं। हम कम नहीं है मानसिक दुर्बलताको त्यागे ! आज तो हमें इस बात का गर्व हैं, कि इतना उतार चढाव देखने पर भी पाश्चात्य शिक्षा पाने पर भी हम बहुत बड़ी संख्यामें विद्यमान हैं, आबाद है । अगर हममें संगठन होगाजैसा कि स्मृतिकारोंने कहा हैं, "संघे शक्ति कलौ युगे" कली. युगमें संघ शक्ति ही बलवान है, श्रेष्ठतम शक्ति है। तो हम सब कुछ कर और करा सकते है, कानून भी परिवर्तित करा सकते हैं । परन्तु ऐसे कायरता सूचक व उपेक्षा पूर्ण भाषणोंसे या लेखां से नहीं। सच्ची कत्तव्य निष्ठा, अर्पण बुद्धि, और अहिंसक विचारोंसे कर सकते हैं। हम अपने नागरिक अधिकारकी रक्षा करें ! भारतीय संविधान में अल्प संख्यकों को अपने हितों के स रक्षण का अधिकार दिया गया हैं । क्या न उस अधिकार का हम उपयोग करें। जबकी ४० कोड व्यक्तियोंकी उपेक्षा करके शिर्फ ४ कोड व्यक्तियोंकी तुष्टी के लिए गौ आदि पशुओंकी हिंसा की जा सकती है, तो हमें भी अधिकार है, पूर्णतया कि जीव हिंसा बंद करादें। कुछ देरके लिए भलेही मांसाहारीयों को दुःख होगा, परन्तु इस दुःख मे भी उनके लिए एकांत लाभ निहित है । और जब वे इसकी वास्तविकता से परिचित होगें तब वे स्वयं ही इस घोर हिंसा का विरोध करेंगे। For Private And Personal Use Only

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