Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भपनी आवाजको तेज करनेके लिए झींगूर (एक प्रकारका कीड़ा) का रस (शोरवा ) पीते थे । क्या यह विलासीताके शाखको पूर्ण करने की मूर्खता नहीं है ? क्या यह निर्दयतापूर्ण कार्य नहीं है ? आज ते। विवाह, जन्म में खुशी के अवसरों पर आमीष भोजन देनेकी एक प्रथासी चल गई हैं, आमीष मेोजन बिना तो पार्टी को अधूरा समझा जाता हैं । कितनी पाशविकता हमारे अंदर आ गई है। हम स्वयं अपने इतिहास को कलंकित कर रहे है। मांसाहारसे शराब पीनेकी आदत पड़ती है। डा. हेगका कहना है कि अफीन, कोकीन, और शराबकी तरह मांस भी उत्तेजक है। और जब उसकी आदत पडजाती है तब मनुष्य ज्यादा उत्तेजक पदार्थो की इच्छा करता है । और अंत में उसकी ऐसी दशा हो जाती है कि उत्तेजक पदार्थ भी उसे उत्तेजन नहीं दे सकता । परिणाम यह होता है कि-शिरदर्द, उदासीनता, निब लतासे वह ग्रसित हो जाता है। शराब छोडना है, तो मांस छोड दिजीये । मात्म-हत्याका कारण भी मांसाहार है। डो. हेगका कहना है, कि मांस ओर शराबके सेवनसे मनुष्यकी स्नायू इतनी कमजोर बन जाती हैं कि वह जीवन से निराश होकर आत्महत्या करनेके लिए भी उद्यत हो जाता है । उसकी विचार शक्ति भी नष्ट होती चली जाती है। इग्लेउमें ज्यादा आत्म-हत्याका कारण मांसाहारकोही ठह. राया गया है। मांस, मद्य, और मैथुन इन तीन चीजोंके सेवनसे मनुष्य का जीवन निराशामय बन जाता है । उपर्युक्त बातोंसे मांसाहार करनेका क्या परिणाम आता हैं, यह हम ही सोच ले ! यदि इन परिणामों से बचना हो तो मांसाहार हमें छोडना ही पडेगा। For Private And Personal Use Only

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