Book Title: Chaturthstuti Nirnay
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 6
________________ (४) विशेष लखवा कारण ए जे जे अत्रे चोमासु मुनिश्री आत्मारामजी महाराज रहेला ने तथा मुनि राजें इसरि पण रहेला डे, ते तमो वगैरे घणा देशावर वाला जाणो बो. मुनि आत्मारामजी महाराज चार थोयो प्रतिक्रमणामां कहे , ते कांश नवीन नथी परापूर्व चालती आवेली . हालमा मु राजेंसरि, प्रतिक्रमणमा त्रण थोयो कहेवार्नु परुप्युं बे; परंतु अहींयां अमदावादमा आठ दश हजार श्रावकनो संघ कहेवाय , तेमां कोयें त्रण थोयो प्रतिक्रम एमां कहेवी एम अंगीकार कयुं नथी, अने को त्रण थोयो कहेतुं पण नथी, आटली वात लखवानुं हेतु ए ले जे गाम सादरी तथा शीवगंज तथा रत लाम विगरे देशावरथी श्रावकोना तथा साधुना कागल आवे जे; तेमां एम लरव्यु जे जे अमदावाद शहेरमा घणा श्रावकोए तथा साधुजीयोए त्रण थो योनुं मत अंगीकार कह्यु ए विगेरे असंनवित जुग लखाण आव्या करे , ए बधुं खोटुं , तेथी त मोने आ शहेरना संघनी तरफथी साचे साचुं लख वामां आवे जे के, अहीयां त्रण थोयोनुं मत कोश्ये कबुल कयुं नथी वली मुनि राजेंसूरिने पुढतां तेमनुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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