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देववंदन नाष्य अर्थसहित. ४१ ___५ चोथु "शक्रस्तव” एवं नाम नमोबुणंनुं बे. तेना अकर (उत्तयस गननया के ) बों ने सत्ता' जाणवा,
५ पांचमुं “चैत्यस्तव” एवं नाम अरिहंत चेइयाणं, जे. तेना अकर (दो गुणतीस के०) बशे ने उगणत्रीश .
६९ “ नामस्तव" एबुं नाम लोगस्सनुं बे, वर्तमान जिन चोवीशोना नामनुं गुणोत्की नरूप तेना अकर (उस के) बों ने शाउ . , ७ सातमुं “श्रुतस्तव” एवं नाम पुरकरव रदी- जे तेना प्रदर (उसोल केण) बशेने सोल ने. ____ पापमुं " सिहस्तव” एवं नाम सिक्षणं बुझणंले तेना अकर (अमननयसय के) ए कशो ने अहागुंडे. ___ए नवमुं “प्रणिधान त्रिक" एवं नाम जा वंति चेइयाई, जावंत केवि साहु अने सेवणा आ नवमखंमा पर्यंत जयवीयराय ए त्रणेनुं .तेना अक्षर (उवन्नसयं के०) एकशो ने बावन .१६