Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Unknown
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३०२ पञ्चरकाण नाष्य अर्थसहित. ज्ज वयमसिधारं खु धीराणं ॥ १३ ॥ ____ अर्थः-(वसणे वि) व्यसन-पुःखमा पण (न मुज्झिज्जइ) न मुंझाइए (मरणे वि) मरण थाय तो पण (नाम) कोमल आमंत्रणने विषे . (माणो) धर्मनुं बहुमान (न मुच्चर) न मू कोये. (विहवरकए वि) लक्ष्मीनो कय श्रये उते पण (दिज्जर) दान दईये. एवं (धीराणं)धी र पुरुषोनुं (असिधार) खम्गनी धार जेवू (व यं) व्रत ने (खु) निश्चे ॥१३॥ . अश्नेहो न वहिज्जइ रूसिज्जइ न य पिये वि पयदिहं । वारिज्ज न क
ली जलंजली दिज्जइ उहाणं ॥१४॥ . अर्यः-(प्रश्नेहो) अति स्नेह (न वहिज्ज ६) न वहन करीये-न धरीये. (य) वली (पिये वि) [प्रय माणस उपर पण (पइदिह) निरंतर (न रूसिज्जर) रोष न करीये. (कली) कजीयो (न वारिज्जइ) वधारीये नहीं.ए रीते (हाणं) दुःखोने (जलंजली) जलांजली दइए ॥१५॥

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