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पञ्चरकाण नाष्य अर्थसहित.. १ए। आगार सहित पच्चरकाण जाणवू. ___ सातमु (निरवसेसं के) निरवशेष तप ते समस्त अशनादिक चार आहार वस्तु अने अना हार वस्तु प्रमुख सर्वनुं पञ्चरकाण करीयें, चन विहार प्रमुख करीयें अनशन करिये ते निरवशेष पच्चख्खाण जारावं.
आठमुं (परिमाणक के०) परिमाणकृत तप पच्चख्खाण ते दातीनी संख्या करे तथा क वलनो संख्या करे तथा घरनी संख्या करे, एट ले दातीनुं परिमाण तेमज कोलीयान परिमाण तथा घरनुं परिमाण जे निकादिकें करवू, अथ वा मम अमद प्रमुख श्यादिके जे निदानो प रित्याग ते सर्व परिमाणकृत पचरूखाण जाणवू. ___ नवमुं ( सके के०) सांकेतिक पचरूखाण ते इहां (केत के) गृह तेणें करी जे सहित वर्ने तेने गृहस्थ कहीये, ते संबंधी प्रायः ए पचरूखा ण गहस्त्रने होय अथवा (संकेत के०) चिन्ह जे अंगुष्ठादिक तेणे कर। होय ते संकेत कहेवा य एटले कोइएक श्रावक पोरिसी आदिक पच्च