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तीर्थ-जिन विशेष
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प्रचंड मम रागादि, रिपु संतति घातकं, श्री युगादि जिनाधीशं, देवं वंदे मुदा सदा...४... श्री शत्रुजय कोटिर, कृतं राज्य श्रिया विभो, सर्वोऽघनाशनं मेस्तु, शासनं ते भवे भवे...५...
[७] जय जय नाभि नरिंद नंद, सिद्धाचल मंडन, जय जय प्रथम जिणंद चंद, भवदुःख विहंडण...१... जय जय साधु सूरीद वृद, वंदि मे परमेसर, जय जय जगदानंद कंद, श्री ऋषभ जिणेसर...२... अमृतसम जिनधर्मनो अ, दायक जगतमां जाण, तस पद पंकज प्रीत धर, नमत निदिन कल्याण...३...
[८] आदीश्वर अरिहंत देव, अविनाशी अमल, अक्षय सरूपी ने अनुप, अतिशय गुण विमल...१... मंगल कमला केली वास, वासव नित्य पूजीत, तुज सेवा सहकार सार, करतां कल कुंजित.. योजित युगादि जिणे अ, सकल कला विज्ञान, श्री ज्ञानविमलसूरि गुण तणो,अनुपम निधि भगवान.३...
[६] वंश इक्ष्वाग सोहावतो, सोवन वन काय, नाभिराय कुल मंडणो, मरूदेवी माय...१... भरतादिक शत पुत्रनो, जे जनक सोहाय, नारी सुनंदा सुमंगला, तस कंत कहाय...२...
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