Book Title: Chaityavandan Sangraha Tirth Jin vishesh
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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तीर्थ-जिन विशेष
[११७]
केवलज्ञानो पहेला नम, निर्वाणी सागर, महाजस विमल ते पांचमा, सर्वानुभूतीश्वर...२... श्रीधर दत्त दामोदर नमो, सुतेज श्री स्वामी, मुनिसुव्रत जिन बारमा, सुमति शिवगति नामी...३... अस्ताग नमीश्वर सोळमा, अनिल यशोधर देव, कृतार्थ जिनेश्वर शुद्धमति, शिवंकर करो सेव...४... स्यंदन संप्रति चोवीसमा, प्रह उठी गाउं, ऋद्धि कीति प्रभु ध्यानथी, अमृत पद पाउं...५...
आवती चोवीशीन चैत्यवंदन
पद्मनाभ पहेला जिणंद, श्रेणिक नृपति जीय, मुरदेव बीजा नमुं, सुपास श्रावक जीव...१... श्री सुपार्श्व त्रीजा वली, जिव कोणिक उदायी, स्वयंप्रभ चोथा जिणंद, पोटिल मन भावी...२... सर्वानुभूति जिन पांचमाओ, दढायु श्रावक जाण, देवसुत छट्ठा जिणंद, श्री कार्तिक शेठ वखाण...३... श्री उदय जिन सातमाओ, शंख श्रावक जीव, श्री पेढाल जिन आठमा, अनंत मुनि जीव...४... पोटिल नवमा वंदिले ओ, जीव जे सुनंद, शतकोत्ति दशमा जिणंद, शतक श्रावक आनंद...५... सुबत जिन अगियारमाओ, देवकी राणी जीव, श्री अमम जिन बारमा, कृष्णजी नो जीव...६... निष्कषाय जिन तेरमाओ, सत्त्यकी विद्याधर, निष्पुलाक जिन चौदमा, बलभद्र सुहंकर...७...
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