Book Title: Chaityavandan Sangraha Tirth Jin vishesh
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
H
one
-
-
[१२२]
चत्य वंदन संग्रह छोहतेर छासठ सगवन, पचास तालीश, छत्रीस पणतीश कंथुने, अर गणधर तेत्रीश...३... अडवीश अष्टादश सुव्रत, नमी सत्तर गणधार, अकादश दश शिव गया, वीर तणा अगियार...४... ऋषभादिक चोवीशना, अंक सहस सय च्यार, , अधि केरा बावन कह्या, सर्व मलो गणधार...५... अक्षय पद वरिया सवे, सादि अनंत निवास, करी समुचित वंदना, जब लग घटमां सास...६...
मरसतो आपे सरस वचन, श्री जिन थुणतां हरखे मन, जिन चोवोशे गणधर जेह, पभणुं संख्या सुणो तेह.१ ऋषभ चोराशी गणधर देव, अजित पंचाणुं करो नित सेव, श्री संभव अकसो दोय, अभिनंदन ओकसो सोळ होय.२ अकसो सुमति शिवपुर वास, पद्मप्रभु अकसो सात खास, स्वामो सुपार्श्व पंचाणुं जाण, चंद्रप्रभु त्राणुं चित्त आण.३ अठ्यासी सुविधि पुष्पदंत, अकाशी शीतल गुणवंत, श्रेयांस जिननां छोतेर सुणो, वासुपूज्य ६६ भवि गणो. ४ विमलनाथ सत्तावन कह्या, अनंतनाथ पचासज लह्या, तेंतालीश गणधर धर्म निदान, शांतिनाथ ३६ प्रधान.५ कुंथु जिनवर कहुं पांत्रीश, अरजिन आराधो तेत्रोल, मल्ली ८८ आनंद अंग, मुनिसुव्रत अष्टादश चंग.६ नमिनाथ सत्तर संभाल, अकादश नमो नेमी दयाल, दश गणधर श्री पार्श्व कुमार, वर्धमान अकादश धार.७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146