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तीर्थ-जिन विशेष
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सयल संपत्ति सयल संपत्ति, तणो दातार. श्री अरनाथ जिनेसरु, शुद्ध दरिसण जे आपे, भूप सुदर्शन नंदनो, कठिन कर्मवेलि कापे...२... अहिज चक्री सातमो, अढारसमो जिन अह, ज्ञानविमल सुख सुजसनो, वर गुणमणिनो गेह...३... [३]
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१...
कल्पतरुवर कल्पतरुवर, आज मुज बार. १ फल दल संयुत प्रगटियो, कामकुंभ शुभ सुरवेलि पाइ, चितामणी करतले चढियो, कामधेनु घर आज आइ... २ दोष अढार रहित प्रभु, दीठो सवि सुखकार, ज्ञानविमल अरजिन तणा, गुण अनंत अपार... ३ [४] अह तारक अह तारक, अछे जगमांहि... १ अरजिन सरिखो को नहि, भविक लोकने ग्रहे बांहि, जे छ चत्री सातमो, लही दोय पदवी उच्छाहि... २ अढारसमोसे जिनवरुओ, ज्ञानविमल घणुं नूर, आरो भवनो ओ दिओ, नामे सुख भरपूर... ३ [ ५ ] आप ज्ञानथी अनुभवी, निज दीक्षा काल, नगरादिक सवि परिहरी, परिग्रह जंजाल ... १... अक सहस वर पुरुष साथे, करि अति बहुमान, मृगशिर शुदि अकादशी, अश्विनी अभिराम...२...
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